बेमेतरा / स्वास्थ्य केंद्रों में प्रसव के दौरान गर्भवती महिलाओं के लिए तनाव मुक्त माहौल उपलब्ध कराने के साथ ही प्रसव कक्ष की गुणवत्ता में सुधार लाने के उद्देश्य से स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा लक्ष्य कार्यक्रम की शुरुआत की गई हैं। इस कार्यक्रम के तहत मातृ एवं नवजात शिशु मृत्यु दर में कमी लाने का प्रयास किया जा रहा है साथ ही प्रसव के दौरान दी जाने वाली सेवाओं में गुणवत्तापूर्ण सुधार लाने और स्वास्थ्य केंद्रों में सभी गर्भवती महिलाओं को सम्मान पूर्वक मातृव देखभाल की सुविधाएं उपलब्ध कराना इसका मुख्य लक्ष्य है।
इस हेतु राज्य सरकार द्वारा बेमेतरा जिला अस्पताल का चयन किया गया है। लक्ष्य कार्यक्रम के क्रियान्वयन के लिए जिला अस्पताल बेमेतरा की सिविल सर्जन की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया गया है।
कमेटी की बैठक आज जिला अस्पताल बेमेतरा में रखी गई थी जिसमें सिविल सर्जन सहित प्रसव कक्ष, ऑपरेशन थिएटर के सभी अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहें। सिविल सर्जन डॉ वंदना भेले ने बताया, “बैठक में प्रसव कक्ष और मेटरनिटी ओटी में गुणवत्तापूर्ण एवं बेहतर प्रसव सेवाएँ उपलब्ध कराने के साथ ही प्रसव के दौरान होने वाली मातृ एवं शिशु मृत्यु को कम करने पर चर्चा की गयी। प्रसव के दौरान देखभाल से संबंधित प्रक्रिया में सुविधाओं के विस्तार के साथ जरुरी सुधार की आवश्यकता पर भी चर्चा की गयी है। बुनियादी सुविधाओं में जैसे मानव संसाधन उपकरण, दवाईयां एवं प्रसव कक्ष के वातावरण को बेहतर बनाना है। ताकि शासकीय अस्पतालों में संस्थागत प्रसव को शत् प्रतिशत पूरा किया जा सके। डॉ. भेले ने बताया, संस्थागत प्रसव की दर में पहले की अपेक्षा काफी बढ़ोतरी हुई हैं क्योंकि लक्ष्य कार्यक्रम को पूरी तरह से धरातल पर उतारा गया हैं। लक्ष्य योजना के तहत प्रमाणीकरण के लिए 362 मानकों (इंडिकेटर) की जांच की जाती हैं। जिसमें मुख्य रूप से सर्विस प्रोविजन, रोगी का अधिकार, इनयूट्रस, सपोर्ट सर्विसेज, क्लिनिकल सर्विसेज, इंफेक्शन कंट्रोल, क्वालिटी मैनेजमेंट, आउटकम शामिल है। इन सभी आठों मानकों के कुल 362 उपमानको पर अस्पताल के प्रसव कक्ष एवं शल्य कक्ष का लगातार गुणवत्ता अनुश्रवण एवं निरीक्षण कर आवश्यकता अनुसार सभी स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है।“
प्रसव कक्ष एवं मैटरनल ओटी में गुणवत्ता पूर्वक सेवाओं देने के लिए राज्य स्तरीय लक्ष्य उन्मुखीकरण के अंतर्गत इस बैठक का आयोजन किया गया। बैठक के बाद राज्य एड्स नियंत्रण कार्यक्रम, डिप्टी डायरेक्टर मोहम्मद हाशिम द्वारा जिला चिकित्सालय के ब्लड बैंक एसटीआई सेंटर आईसीटीसी, लिंक एआरटी सेंटर का औचक निरीक्षण किया गया। जिसमें संबंधित सभी रजिस्टर एचआईवी टेस्ट किट डी बी एस, एसटीआई किट, लिंक एआरटी सेंटर में उपलब्ध दवाई के स्टॉक आदि का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के बाद सिविल सर्जन डॉ. वंदना भेले से मिलकर एड्स नियंत्रण कार्यक्रम एवं उपलब्ध सुविधाएं के बारे में चर्चा की गयी। इस दौरान एसटीआई, लिंक एआरटी केंद्र, आईसीटीसी एक ही रूम में संचालित नहीं कर अलग कक्ष व्यवस्था के लिए निर्देश दिए गए। निरीक्षण के दौरान उपस्थित स्टाफ, सभी रजिस्टर पूर्ण मिले, साथ में लेबर रूम में डब्लूबीएफपी एचआईवी टेस्ट किट नेवरापीन सिरप सेफ डिलीवरी किट उपलब्धता की भी जानकारी ली गयी।
प्रसव कक्ष में देखभाल सुविधाओं के मूल्यांकन के बाद प्रसूति कक्ष और मैटरनिटी ऑपरेशन थियेटर में गुणवत्ता सुधार का मूल्यांकन राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक (एनक्यूएएस) के माध्यम से किया जाना है उसके बाद ही एनक्यूएएस पर 70 प्रतिशत अंक प्राप्त करने वाली प्रत्येक सुविधाओं को लक्ष्य प्रमाणित सुविधा के रूप में प्रमाणित किया जाएगा। इसके अलावा एनक्यूएएस स्कोर के अनुसार लक्ष्य प्रमाणित सुविधाओं की ब्रांडिग की जाएगी। 70 से 80 तक स्कोर पाने वाले अस्पताल को सिल्वर की श्रेणी में रखा जाता हैं जबकि 81 से 90 तक स्कोर पाने वाले अस्पताल को गोल्ड की श्रेणी में रखा जाता हैं तो वहीं 91 से 100 तक स्कोर पाने वाले अस्पताल को प्लेटिनम की श्रेणी में रखा जाता हैं। इन सभी को श्रेणियों को प्रशस्ति पत्र व प्रोत्साहन के रूप में नकद राशि दिया जाता हैं।