

दुर्ग भिलाई के कई इलाकों में आज होलिका दहन किया गया। लोगों ने होलिका दहन कर होली पर्व की एक दूसरे को बधाई और शुभकानाएं दीं। इसी क्रम में खुर्सीपार स्थित जवाहरलाल स्कूल परिसर में होलिका दहन किया गया।
होलिका दहन कर होली पर्व की एक दूसरे को बधाई कॉलोनीवासियों ने शुभ मुहर्त में होलिका दहन किया। होलिका दहन करने से पहले विधि- विधान से पूजा अर्चना की गई।
कॉलोनी के युवा और बुजुर्ग सभी ने बड़े ही उत्साह, ओज, उमंग के साथ होलिका दहन किया। होलिका दहन की परिक्रमा कर प्रदेश और अपने परिवार की सुख, शांति और समृद्धि की कामना की। एक दूसरे को अबीर-गुलाल लगाकर होली पर्व की बधाई और शुभकानाएं दी। इस दौरान मिठाई बांटकर एक दूसरे का मुंह मीठा कराया गया। होलिका माता और भक्त प्रहलाद के जयकारे लगाए गए। इसके बाद फोटो सेशन कर अबीर-गुलाल लगाकर पर्व की बधाई दी।

जानें होलिका दहन का महत्व
वेदाचार्य कमलेश मिश्रा ने बताया कि हिंदू कैलेंडर के अनुसार, फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन मनाई जाती है। इस वर्ष भद्रा के कारण देश के कुछ हिस्सों में होलिका दहन का आयोजन आज यानी 7 मार्च 2023 के दिन प्रदोष काल में किया गया। वहीं होलिका दहन का मुहूर्त तीन चीजों पर निर्भर करता है। पूर्णिमा तिथि, प्रदोष काल और भद्रा न हो। हालांकि ऐसा बहुत ही कम होता है कि होलिका दहन इन तीनों चीजों के साथ होने पर ही किया जाए, लेकिन पूर्णिमा तिथि के दिन होलिका दहन का होना बेहद जरूरी है। पूर्णिमा के रहते हुए पुच्छ काल में यानी कि भद्रा के आखिरी समय में होलिका दहन करना शुभ माना जाता है।
बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक
उन्होंने बताया कि हिंदू धर्म के अनुसार, पौराणिक और धार्मिक दोनों ही दृष्टि से होलिका दहन का महत्व है। होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस दिन लोग होलिका दहन की विधिवत पूजा करते हैं और अच्छे स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। इतना ही नहीं लोग वहीं बसंत ऋतु का स्वागत करते हुए अग्नि देवता को धन्यवाद देते हैं।