एसडीएम पेंड्रारोड पुष्पेंद्र शर्मा बताते हैं कि बीएसएनएल से इस संबंध में बात हुई है। कंपनी की ओर से जल्द ही गांव में टावर लगाने की बात कही गई है। विधानसभा चुनाव भी नजदीक हैं, ऐसे में जल्द ही काम पूरा होना है। कंपनी की ओर से कहा गया है कि तीन-चार माह में दो टावर गांव में लगा दिए जाएंगे।
छत्तीसगढ़ के गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (GPM) जिले का एक गांव नेटवर्क नहीं होने से परेशान है। लोगों के हाथों में मोबाइल तो है, लेकिन गांव में टावर ही नहीं है। इसके चलते उन्हें बात करने के लिए भी गांव से करीब दो किमी दूर जाना पड़ता है। बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई नहीं कर पा रहे और सरकारी योजनाओं को पूरा लाभ तक नहीं मिल रहा। इसे लेकर ग्रामीण कई बार कलेक्टर और अफसरों के चक्कर लगा चुके हैं, लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई। हालांकि एसडीएम का कहना है कि तीन-चार माह में टावर लग जाएगा।
दरअसल, जिले के दूरस्थ गांव केंवची बानघाट (पीढ़ा) की आबादी करीब 900 है। यहां आज भी मोबाइल सिर्फ एक खिलौने के जैसे ही उपयोग की चीज बने हुए हैं। कारण यह है कि मोबाइल कनेक्टिविटी के लिए टावर ही नहीं हैं। केंवची में एक बीएसएनएल का एक टावर था, पर वो भी बंद पड़ा है। ग्रामीणों का कहना है कि, कभी मोबाइल से बात करने की जरूरत होती है ता गांव से दूर किसी ऊंचे स्थान पर जाना होता है। वहां भी बड़ी मुश्किल से बात हो पाती है। गांव वालों ने प्रशासन तक भी अपनी बात पहुंचाई, पर टावर नहीं लग सका।
ग्रामीण बताते हैं कि कोविड के दौरान सरकार ने पढ़ाई ऑनलाइन कर दी, लेकिन यहां के बच्चे पढ़ ही नहीं सके। व्हाट्सएप के जरिए कोई जानकारी भेजी जाती है, वह भी नहीं मिलती। ऑनलाइन पैसों का लेन-देन हो या सरकारी राशन दुकान से सामान लेना हो, हर जगह दिक्कत है। इसके लिए ऑफलाइन ही राशन वितरण किया जाता है। कनेक्टिविटी नहीं होने के कारण शासकीय योजनाओं के क्रियान्वयन की भी जानकारी नहीं मिल पाती है। ऐसा लगता है जैसे की आदिम युग में जी रहे हैं।