जन विरोधी नीतियों के खिलाफ औद्योगिक एवं ग्रामीण बंद के समर्थन में संयुक्त मोर्चा का प्रदर्शन
मजदूर विरोधी किसान विरोधी जन विरोधी नीतियों के खिलाफ हो रहे अखिल भारतीय औद्योगिक एवं ग्रामीण बंद के समर्थन में एवं किसानों के साथ हो रही बर्बरता के विरोध मे आज भिलाई इस्पात संयंत्र के संयुक्त ट्रेड यूनियन मोर्चा ने सुबह 8:00 से 9:00 बजे तक बोरिया गेट पर प्रदर्शन किया l इस दौरान संयुक्त यूनियन ने कहा कि केंद्र सरकार की दादागिरी के चलते ही हमारा वेतन समझौता अटका हुआ है केंद्र सरकार के द्वारा थोपी गई शर्तों के चलते ही 39 माह का एरियर पर रोक लगी हुई है इसके खिलाफ संघर्ष और तेज करना होगाl
प्रदर्शन में शामिल इंटक एटक सीटू एचएमएस ऐक्टू स्टील वर्कर्स यूनियन लोईमू इस्पात श्रमिक मंच छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा कार्यकर्ता समिति सेवानिवृत कर्मचारी संघ के साथी शामिल हुए
पालने में ही नजर आ गए थे पूत के पांव
यूनियन नेताओं ने केंद्र सरकार को आडे हाथों लेते हुए कहा कि मौजूदा केंद्र सरकार की हरकत 2014 में ही समझ में आना शुरू हो गया था जब इस सरकार ने अपने कॉर्पोरेट मित्रों को लाभ पहुंचाने के लिए श्रम कानून को खत्म करने का काम शुरू बंद कर दिया था l उसके बाद नौजवानों के लिए रोजगार की बात करने पर भजिया तलने को रोजगार बताकर मजाक उड़ाया, 2020 में नई शिक्षा नीति लाकर शिक्षा को और कमजोर करना शुरू किया, महिलाओं पर अत्याचार एवं बलात्कार करने वालों को जमानत पर छुड़वाया साथ ही साथ महिला आरक्षण बिल के नाम पर महिलाओं को गुमराह करके अपने महिला विरोधी चेहरे को उजागर किया, अंत में किसानों पर हमला शुरू करते हुए किसानों को गुलाम बनाने की नीतियां तैयार किया इसके खिलाफ पिछले 3 सालों से किसान मजबूती से लड़ रहे हैं I
मजदूर विरोधी श्रम संहिताओं को वापस लो
संयुक्त यूनियन के नेताओं ने कहा कि जिन 29 श्रम कानून को खत्म कर श्रम संहिताओं में बदल गया है उससे केवल और केवल सरकार के कॉर्पोरेट मित्रों को ही लाभ मिल रहा है मजदूर अपने श्रम कानून से वंचित होते चले जा रहे हैं इसीलिए इन चारों श्रम संहिताओं को वापस लेने तक संघर्ष जारी रहेगा
किसान अन्नदाता है अपराधी नहीं
मजदूर नेताओं ने कहा कि 2020 में देश के किसानों ने केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए तीनों कृषि विरोधी काले कानून को वापस करने के लिए अपना संघर्ष शुरू किया 700 से ज्यादा किसानों की कुर्बानी देकर पूरा 1 साल संघर्ष करने के बाद मोदी सरकार ने किन कृषि कानून को तो वापस लेने की घोषणा की, साथ में कृषि उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य गारंटी कानून बनाने के संदर्भ में भी कहा, किंतु अभी तक इस पर कोई पहल नहीं हुई है I अब जबकि न्यूनतम समर्थन मूल्य गारंटी कानून के लिए किसान फिर से अपने संघर्षों को शुरू किए हैं एवं दिल्ली की तरफ आ रहे हैं तो उन किसानों के रास्ते में ऐसी ऐसी बाधाएं खड़ी की जा रही है जैसे किसी अपराधी की मोर्चाबंदी की जा रही हो, इसीलिए संयुक्त यूनियन के नेताओं ने कहा कि जो किसान दिल्ली आ रहे हैं वह हमारे देश के अन्नदाता है कोई अपराधी नहीं है इसीलिए उनके साथ ऐसा सुलूक करना बंद करो
क्या-क्या कहा यूनियन के नेताओं ने
आजाद भारत में इससे बड़ा तानाशाही सरकार कभी केंद्र में नहीं आई है इस सरकार ने मजदूर किसान पर निर्मम हमला किया है
मौजूदा केंद्र सरकार 2024 के चुनाव में वापस सत्ता में आती है तो आने वाले दिनों में चुनाव ही बंद हो सकते हैं
अन्नदाताओं पर हमला करने वाली सरकार किसान हितैषी सरकार नहीं हो सकती
किसानों को देशद्रोही कहकर प्रचार किया था इस सरकार ने
तानाशाह ला अब नहीं सहिबो बदल के रहिबो
केंद्र में एक व्यक्ति की सरकार चल रही है पार्टी की नहीं
केंद्र में बैठे साहब बोल रहे हैं कि इस बार 400 के पार है यह किस आधार पर बोल रहे हैं साहब ही जाने
रोज इनका आईटी सेल नए-नए गुमराह करने वाले एजेंडा को व्हाट्सएप के माध्यम से लोगों के बीच डालता है