पूर्व मंत्री शिव डहरिया और उनकी पत्नी शकुन डहरिया से जुड़ा एक और खुलासा सामने आया है। जिसमें आरंग में बिना आबंटन के करोड़ों की जमीन पर एक बिल्डिंग तान दी है। बिल्डिंग को शकुन डहरिया की संस्था राजश्री सद्भावना समिति को देने की तैयारी चल रहे थी। बिल्डिंग पर राजश्री सद्भावना समिति का कब्जा भी किया हुआ था। बिना आबंटन शासन से 80 लाख रुपए का आलीशान बंगले की तरह तैयार किया गया है। बिल्डिंग का निर्माण करने के लिए 80 लाख से ज्यादा की रकम खर्च होने की संभावना भी है। रायपुर में दो जमीन और भवन पर पूर्व मंत्री डहरिया की पत्नी की संस्था ने कब्जा कर रखा है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार निगम ने एक दिन पहले जारी किया नोटिस नगर निगम ने राजश्री सद्भावना समिति की अध्यक्ष शकुन डहरिया को नोटिस जारी किया है। नोटिस ने निगम समिति के आधिपत्य को विधि विरुद्ध बताया है और कहा है कि, राजश्री सद्भावना समिति को आधिपत्य नहीं दिया गया है। इसलिए 72 घंटे के भीतर उन्हें भवन खाली करने को कहा गया है। पूर्व मंत्री शिव डहरिया ने इस पर दावा किया था। निगम ने खारिज कर दिया है, जिसमें शिव डहरिया ने MIC से स्वीकृति मिलने का दावा किया था। उन्होंने कहा था कि, प्रस्ताव सामान्य सभा से पारित नहीं हुआ था।
पूर्व मंत्री शिव डहरिया की पत्नी शकुन डहरिया पर रायपुर के शताब्दी नगर स्थित सामुदायिक भवन पर कब्ज़ा करने का आरोप लगा है। पूर्व मंत्री की पत्नी की यहां इतनी चलती है कि, उन्होंने भवन के रंगरोगन पर 1 करोड़ रुपए खर्च कर दिए। यहां आम लोगों की एंट्री बंद कर दी गई है। ये सामुदायिक भवन किसी सचिव के कार्यालय से कम नहीं है। आलम ये है कि आमसभा में इस मुद्दे पर खूब हंगामा होने के बाद सभापति प्रमोद ने पूर्व मंत्री का नाम चर्चा से विलोपित कर दिया। इस यहां 50 लाख रुपये से ज्यादा लगभग 1 करोड़ रुपए की लागत से एलईडी टीवी, वार्डरोब, फ्रिज, अलमारी, वाशिंग मशीन, कम्प्यूटर,कंप्यूटर प्रिंटर सहित तमाम वो सुविधाएं हैं।
बता दे कि छत्तीसगढ़ के पूर्व मंत्री शिव डहरिया वही मंत्री है जो सरकारी बंगला खाली करते समय टीवी, फ्रीज एसी उखाड़ ले जाने के बाद चर्चा में आए थे अब उनकी पत्नी याने शकुन डहरिया का एक सामुदायिक भवन पर कब्जा होने के मामले में दो दिन से नगर निगम में हंगामा मचा हुआ है। लेकिन इसी बीच पूर्व मंत्री डहरिया की पत्नी शकुन डहरिया को लेकर एक और बड़े मामले का खुलासा हुआ है। इससे पता चलता है कि, शकुन ने एक नहीं बल्कि दो जगहों पर कब्जा कर रखा था। पता चला है कि, EWS की लगभग 15 हजार फीट जमीन पर उन्होंने भवन और आलीशान गार्डन तान दिया है।
बता दे कि, सरकारी आवास में महंगे इलेक्ट्रानिक सामान ले जाने के आरोपों के बाद पूर्व मंत्री शिव डहरिया अब पत्नी शकुन डहरिया की समिति द्वारा सामुदायिक भवन में कब्जे के विवाद में फंस गए हैं। सभापति प्रमोद दुबे ने इस मामले में निगम आयुक्त अबिनाश मिश्रा को इस मामले में समिति बनाकर 15 दिन में जांच कराने के निर्देश दिये हैं। नगर निगम की सामान्य सभा में प्रश्नकाल के दौरान नगर निगम की नेता प्रतिपक्ष मीनल चौबे ने गुरु घासीदास वार्ड के शताब्दि नगर कालोनी में नगर निगम के सामुदायिक भवन पर शकुन डहरिया की समिति का कब्जा होने का आरोप लगाया। दस्तावेजों के साथ नेता प्रतिपक्ष ने सदन में दहाड़ते हुए कहा, शकुन डहरिया ने राजश्री सद्भावना समिति के नाम से सामुदायिक भवन पर कब्जा कर रखा है। समिति की वो अध्यक्ष हैं, उनके लेटरपैड और उनके हस्ताक्षर के साथ जोन 10 के आयुक्त के नाम आवेदन किया गया था, जिसमें शताब्दि नगर में निर्मित सामुदायिक भवन का संचालन व हस्तांतरण करने की अनुमति मांगी गई थी। इस पर मेयर इन काउंसिल की 16 जून 2022 की हुई बैठक में प्रस्ताव रखा गया। इसे एमआईसी द्वारा पारित किया गया।
बताते चलें, नगर निगम की सामान्य सभा के प्रश्नकाल में नेता प्रतिपक्ष ने प्रश्न किया था कि नगर निगम के सामुदायिक भवन में अधिकारिता किसकी रहती है, किसी भी संस्था को नगर निगम के पार्षदों की जानकारी के बिना क्या नगर निगम आवंटित कर सकता है? शताब्दि नगर के सामुदायिक भवन मामले में किस नियम के तहत एनजीओ को इसका आवंटन किया गया। जवाब में एमआईसी सदस्य ज्ञानेश शर्मा ने सदन को बताया, सामुदायिक भवन की अधिकारिता निगम के पास रहती है। उस भवन की चाबी जोन 10 के कमिश्नर के पास ही है। बिना पार्षदों की जानकारी के भवन का आवंटन होना गंभीर विषय है। उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी। सामुदायिक भवन के साजो-सज्जा में किसके कहने पर राशि खर्च की गई और किस मद में यह राशि खर्च हुई है, इसकी जांच कराएंगे।