नागरिकता संशोधन कानून पास कराना भारतीय जनता पार्टी के चुनावी घोषणापत्र का हिस्सा था. साल 2019 में सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार ने इसे लोकसभा और राज्यसभा के माध्यम से पास कराया था. कानून बनने के बावजूद यह अबतक यह लागू नहीं हो पाया था।
देश में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) अब लागू हो गया है. साल 2019 में संसद के दोनों सदनों के द्वारा पास किए गए इस कानून के संबंध में आज गृह मंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर दी है. इस कानून के पास होने के साथ ही साल 2019-20 में देश में काफी विरोध प्रदर्शन भी हुए थे. एक बार फिर किसी प्रकार का विरोध प्रदर्शन ना हो, इसे लेकर सुरक्षा एजेंसियों ने पूरी तैयारी कर ली है।
राजधानी दिल्ली के संवेदनशील इलाकों में आज फ्लैग मार्च निकाला गया है. सोशल मीडिया पर भड़काऊ भाषणों पर भी नजर रखी जा रही है. ऐसे में मन में सवाल उठना लाजमी है कि आखिर यह सीएए क्या है. इस कानून के पास होने के बाद क्या कुछ बदलने वाला है. आइये हम आपको इसके बारे में विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराते हैं।
नागरिकता संशोधन कानून क्या है?
सबसे पहले यह स्पष्ट कर दिया जाए कि यह कानून भारत के किसी नागरिक को उसकी नागरिकता से वंचित नहीं करता है और न ही यह किसी को नागरिकता देता है. यह कानून किसी भारतीय के लिए है ही नहीं।
किसे मिलेगा नागरिकता संशोधन कानून से फायदा?
दरअसल, यह कानून उन विदेशी लोगों के लिए है जो भारत की नागरिकता के लिए आवेदन करते हैं. कोई भी व्यक्ति जो हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी या ईसाई समुदाय से है वो इस कानून के तहत भारत की नागरिकता के लिए आवेदन कर सकता है. यहां गौर करने वाली बात यह है कि यह कानून केवल अफगानिस्तान, बांग्लादेश या पाकिस्तान में रह रहे उक्त धर्म के अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता देने से जुड़ा है।
किन लोगों को मिलेगी भारत की नागरिकता?
पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में रह रहे वहां के अल्पसंख्यक जो भारत में 31 दिसंबर, 2014 को या इससे पहले प्रवेश कर गए हैं, उन्हें नागरिकता दी जानी है. इसमें वो लोग भी शामिल हैं जिन्हें केंद्र सरकार द्वारा या पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम, 1920 की धारा 3 की उपधारा (2) के खंड (स) या विदेशी अधिनियम, 1946 के प्रावधानों के आवेदन या उसके अंतर्गत किसी नियम या आदेश के तहत छूट दी गई हो।