होली का पर्व 25 मार्च, सोमवार को मनाया जाएगा. होली हर साल फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती. वहीं रंग खेलने वाली होली से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है. होलिका दहन को छोटी होली के नाम से भी जाना जाता है।
होलिका दहन की पूजा के दौरान इस बात का खास ख्याल रखा जाता है कि भद्रा समय नहीं होना चाहिए. आइये जानते हैं आखिर ऐसा क्यों माना जाता है, भद्रा काल को अशुभ माना जाता है. इसीलिए होलिका दहन की पूजा इस दौरान नहीं की जाती है. आइये जानते हैं होलिका दहन की पूजा के दिन भद्रा का समय-
भद्रा का समय- (Bhadra Time)
भद्रा पूँछ – शाम 6:33 से 7:53
भद्रा मुख – शाम 7:53 से 10:06
भद्रा काल रात 10.06 मिनट पर समाप्त होने के बाद होलिका दहन कर सकते हैं.होलिका दहन का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त 24 मार्च, रविवार को रात 11:13 से 00:27, मार्च 25 तक रहेगा. जिसकी कुल अवधि – 01 घंटा 14 मिनट रहेगी।
वहीं होली के दिन पूर्णिमा तिथि 24 मार्च , 2024 को सुबह 09:54 मिनट पर लग जाएगी. जो अगले दिन 25 मार्च को दोपहर 12:29 बजे तक रहेगी।
कौन हैं भद्रा? क्यों भद्रा को माना जाता है अशुभ?
भद्रा भगवान सूर्यदेव की पुत्री और राजा शनि की बहन हैं. शनि की तरह ही भद्रा का स्वभाव भी कड़क बताया गया है. उनके स्वभाव को नियंत्रित करने के लिए ही भगवान ब्रह्मा ने उन्हें पंचांग के एक प्रमुख अंग विष्टि करण में स्थान दिया।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुछ समय (काल) ऐसा होता है जिनमें शुभ कार्य वर्जित होता है. ज्योतिष में इसे अशुभ काल कहा जाता है और इन्हीं अशुभ कालों में से एक है भद्रा. इस काल में किया गया काम शुभ फल प्रदान नहीं करता।
भद्रा काल वह समय होता है जब कुछ ग्रह स्थितियां बनती हैं जो नकारात्मक ऊर्जा पैदा करती हैं।