बस्तर से कांग्रेस ने काटा दीपक बैज का टिकट,विधायक और पूर्व मंत्री कवासी लखमा को बनाया उम्मीदवार

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कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज का टिकट कट गया है. छह बार के विधायक कवासी लखमा पर पार्टी ने भरोसा जताया है।

बस्तर से मौजूदा सांसद दीपक बैज का टिकट काटकर कांग्रेस ने पूर्व मंत्री कवासी लखमा को टिकट दिया है. कांग्रेस ने लोकसभा चुनावों के लिए शनिवार (23 मार्च) की देर रात जो लिस्ट जारी की है उसमें छत्तीसगढ़ की सिर्फ बस्तर लोकसभा सीट पर उम्मीदवार का एलान किया है. इस सीट से मौजूदा छत्तीसगढ़ कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज सांसद है. ये सीट रिजर्व कैटेगरी में आती है. कवासी लखमा छत्तीसगढ़ का जाना पहचाना नाम हैं. वो भूपेश बघेल की सरकार में मंत्री रह चुके हैं।
टिकट के ऐलान के बाद कवासी लखमा ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, “मुझे बस्तर लोकसभा से प्रत्याशी बनाए जाने पर मैं हमारी प्रेरणास्रोत सोनिया गांधी,कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे,देश की शान हमारे नेता राहुल गांधी और छत्तीसगढ़ प्रभारी सचिन पायलट का सहृदय आभार व्यक्त करता हूं. मुझे पूरा विश्वास है कि बस्तर की माननीय जनता केंद्र सरकार की अन्याय पूर्वक नीति के विरुद्ध न्याय को चुनकर बस्तर में कांग्रेस को भारी मतों से विजयी बनाएगी।

कवासी लखमा वर्तमान में कोंटा विधानसभा के विधायक हैं. कयास लगाया जा रहा था कि एक बार फिर से पीसीसी अध्यक्ष और बस्तर के सांसद दीपक बैज को पार्टी टिकट दे सकती है लेकिन सारे कयास को दूर करते हुए शनिवार देर रात जारी लिस्ट में कांग्रेस पार्टी ने बस्तर लोकसभा सीट से कवासी लखमा को टिकट दिया.

कवासी लखमा कोंटा विधानसभा से छठी बार विधायक बने हैं. 2011 में हुए बस्तर लोकसभा उपचुनाव में कवासी लखमा को प्रत्याशी बनाया गया था लेकिन उन्हें बीजेपी के प्रत्याशी दिनेश कश्यप से 88 हज़ार मतों के अंतर से हार मिली. अब वो दूसरी बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे है।

सुकमा जिले के गादीरास में रहने वाले कवासी लखमा ने 1998 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी के प्रत्याशी को हराकर भारी मतों से जीत दर्ज की थी. इसके बाद 2003 में हुए विधानसभा चुनाव में कोंटा विधानसभा में 4 प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे, कांग्रेस से कवासी लखमा ने सीपीआई के प्रत्याशी मनीष कुंजाम को 17 हजार के मतों के अंतर से चुनाव हराया और तीसरे पोजिशन में बीजेपी के प्रत्याशी बुधराम सोढ़ी रहे.

वही 2008 के चुनाव में लखमा ने बीजेपी के प्रत्याशी पदम नंदा को 192 वोट के अंतर से चुनाव हराया. इसके अलावा 2013 के चुनाव में 5 प्रत्याशी मैदान में थे, और इस चुनाव में भी कवासी लखमा ने बीजेपी के प्रत्याशी धनीराम बारसे को 5 हजार 786 मतों के अंतर से हराया।

2018 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस ने कवासी लखमा को ही टिकट दिया और इस चुनाव में भी कवासी लखमा ने बीजेपी के प्रत्याशी धनीराम बारसे को 6 हजार 709 मतों के अंतर से हराया.

2023 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के प्रत्याशी सोयम मुक़ा को 1981 मतों के अंतर से चुनाव हराया और पिछले 6 विधानसभा चुनाव में लगातार कवासी लखमा ही इस सीट से जीत दर्ज करते आ रहे हैं.

कवासी लखमा कांग्रेस के काफी कद्दावर नेता भी माने जाते हैं. 25 मई 2013 को हुए देश के सबसे बड़े नक्सली हमलो में से एक झीरम घाटी हमले में कांग्रेस की पूरी एक पीढ़ी नक्सलियों ने समाप्त कर दी थी. इनमें से इकलौते नेता कवासी लखमा हैं जो अपनी जान बचाकर सुरक्षित इतनी बड़ी घटना से बाहर निकलकर आए थे. इस घटना के बाद से छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि पूरे देश की जनता कवासी लखमा को जानने लगी।

इधर कवासी लखमा के लगातार दिल्ली के दौरे से संभावना जताई जा रही थी कि वो अपने बेटे हरीश कवासी के लिए बस्तर लोकसभा सीट से टिकट मांग रहे हैं. लेकिन शनिवार को जारी लिस्ट में उन्हें उम्मीदवार बनाया गया।