अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने एक ऐसी तस्वीर शेयर की है, जिसे Hand of God यानी ‘भगवान का हाथ’ बताया जा रहा है. लोग इसे देखकर हैरान हैंं. पूछ रहे कि क्या सच में ब्रम्हांड में भगवान का हाथ दिखा? नासा ने इसके रहस्य से पर्दा भी उठाया है।
भगवान को किसी ने देखा नहीं. लेकिन अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने ब्रम्हांड की एक ऐसी तस्वीर शेयर की है, जिसे देखकर लोग चकित हैं. दरअसल, नासा ने इसे Hand of God यानी ‘भगवान का हाथ’ बताया है. यह तस्वीर इन दिनों खूब चर्चा में है. लोग पूछ रहे हैं कि क्या सच में अंतरिक्ष में भगवान के दर्शन हो रहे हैं? इसके बाद नासा ने इसका रहस्य बताया. जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे. यह तस्वीर 6 मई, 2024 को कैप्चर की गई।
लाइव साइंस की रिपोर्ट के मुताबिक, नासा हर सप्ताह ब्रम्हांड की खूबसूरत और आश्चर्यजनक तस्वीरें शेयर करती है, जिसे स्पेस फोटो ऑफ द वीक (Space Photo Of The Week) कहा जाता है. लेकिन इस बार जो तस्वीर उन्होंने साझा की है, उसने हंगामा मचा दिया है. इस तस्वीर में ब्रम्हांड में मुट्ठीनुमा एक आकृति नजर आ रही है. देखने से ऐसा लग रहा कि जैसे कोई सर्वोच्च शक्ति आशीर्वाद दे रही हो. नासा ने इसके रहस्य से पर्दा उठाया. बताया कि ये चमकीली चीज कुछ और नहीं, बल्कि एक नेबुला है जो तारे के टूटने के बाद बचा रह गया. यहां पर सितारों का जन्म हो रहा है।
यह गम नेबुला
नासा के मुताबिक, यह गम नेबुला है, जिसे सीजी 4 के नाम से जाना जाता है. जो 1,300 प्रकाश वर्ष दूर है. सीजी 4 गैस और धूल से बना एक बादल है, जहां तारों का जन्म होता है. लेकिन अजीब आकार की वजह से इसे दो नाम दिए गए हैं. धूमकेतु से मिलती-जुलती पूंछ की वजह से इसे कॉमेट्री ग्लोब्यूल के नाम से जाना जाता है. तो वहीं, ब्रम्हांड में फैली विशाल भुजाओं की वजह से इसे Hand of God यानी ‘भगवान का हाथ’ भी कहा जाता है.
ब्लैंको टेलीस्कोप से खींची गई
यह तस्वीर चिली में ब्लैंको टेलीस्कोप से खींची गई. इसमें सीजी 4 का धूल भरा सिर और लंबी पूंछ नजर आ रही है. ऐसा लग रहा कि यह एक आकाशगंगा को खाने की तैयारी में है. लेकिन क्लोजअप करने पर आप देखेंगे कि इससे दो सितारों का जन्म हो रहा है, जो उंगलियों की तरह नजर आ रहे हैं. कॉमेट्री ग्लोब्यूल कैसे बनते हैं, यह अभी भी रहस्य है. कुछ खगोलशास्त्रियों का मानना है कि इनका आकार पास के विशाल गर्म तारों से आने वाली हवाओं के कारण बना है. दूसरों का सुझाव है कि ये संरचनाएं गोलाकार निहारिकाएं हो सकती हैं जो पास के सुपरनोवा के असर की वजह से विकृत हो जाती हैं।