
नक्सलवाद की दुनिया को अलविदा कहने वाले दिवाकर ने एक नया कीर्तिमान रच दिया है। उन्होंने 35 प्रतिशत नंबर के साथ 10वीं की परीक्षा पास की है। छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम विजय शर्मा और एसपी अभिषेक पल्लव ने दिवाकर की खूब सराहना की है।
जुर्म की दुनिया छोड़कर एक आम जिंदगी जीना हर किसी के बस की बात नहीं होती है। मगर इस नामुमकिन काम को दिवाकर ने मुमकिन कर दिखाया है। 17 साल तक नक्सलवाद का दामन थामने के बाद उन्होंने पत्नी के साथ पुलिस के सामने सरेंडर किया और अब उन्होंने एक नया कीर्तिमान रच दिया है। दिवाकर ने कड़ी मेहनत और लगन के दमपर 10वीं की परीक्षा पास कर ली है। 10वीं में दिवाकर के 35 प्रतिशत अंक आए हैं।

उपमुख्यमंत्री ने की तारीफ
दिवाकर की इस उपलब्धि पर सभी को नाज है। छत्तीसगढ़ के गृह मंत्री और डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने भी दिवाकर से वीडियो कॉल पर बात करके खुशी जाहिर की है। डिप्टी सीएम के साथ वीडियो कॉल पर बात करते हुए दिवाकर ने बताया कि वो हर रोज 3-4 घंटे तक पढ़ाई करते थे। दिवाकर ने कहा कि रात में खाना खाने के बाद 10 बजे तक पढ़ते थे और सुबह नाश्ता करने के बाद भी 10-11 बजे तक पढ़ते थे। दोपहर में भी वो 2-4 बजे तक पढ़ाई करते थे।
दिवाकर से मिलने पहुंचे एसपी
छत्तीसगढ़ के कबीरधाम इलाके के एसपी अभिषेक पल्लव भी दिवाकर से मिलने उनके घर गए थे। अभिषेक पल्लव ने उन्हें बाकी युवाओं के लिए मिसाल बताया है। उन्होंने कहा कि, दिवाकर की बातों में कितनी हिम्मत है। ये उन बच्चों के लिए मिसाल हैं जो असफलताओं से डरकर टूट जाते हैं और आत्महत्या तक कर लेते हैं।
17 साल तक नक्सल संगठन में रहे दिवाकर
एसपी अभिषेक पल्लव ने कहा कि दिवाकर के 10वीं में 35 प्रतिशत नंबर आए हैं, जो 95 प्रतिशत से भी ज्यादा हैं क्योंकि जिन मुश्किलों में रहकर इन्होंने पढ़ाई की है वो काबिल-ए-तारीफ है। 16-17 साल तक ये नक्सल संगठन में काम करने के बाद दोबारा पढ़ाई शुरू करना वाकई सराहना के लायक है। ये बाकी माओवादियों के लिए भी उदाहरण हैं जो जंगल में जिंदगी बिता रहे हैं, विकास में रोड़ा बन रहे हैं और सरकारी संपत्तियों का भी नुकसान कर रहे हैं।

दिवाकर पर था 14 लाख का इनाम
नक्सलवादियों से खास अपील करते हुए दिवाकर कहते हैं कि सभी नक्सली दिन-रात जंगलों में घूम रहे हैं। हम चाहते हैं कि वो भी हमारी तरह आत्मसमर्पण करके घर बसाएं और अच्छी जिंदगी जीना शुरू करें। बता दें कि दिवाकर के ऊपर सरकार ने 14 लाख का इनाम रखा था तो उनकी पत्नी के ऊपर भी 12 लाख का इनाम था। मगर अब दोनों ने आत्मसमर्पण करके किताब और कलम का हाथ थाम लिया है। दिवाकर के अनुसार बतौर नक्सली वो अपने साथ AK-47 बंदूक रखते थे। मगर अब कलम के सामने AK-47 की ताकत भी फीकी पड़ गई है।