Hathras Tragedy : सिपाही से बना सफेद सूट-बूटधारी बाबा…बना रखी है वर्दीधारी फौज, पुलिसकर्मी भी नतमस्तक,बाबा के पांव छूने की होड़ ने लगा दिया मौत का अंबार, लाश देखकर दहल गए दिल,हादसे के तीन अहम कारण

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17 साल पहले पुलिस कांस्टेबल की नौकरी छोड़ सूरजपाल सत्संग करने लगा। वह आम साधु-संतों की तरह गेरुआ वस्त्र नहीं पहनता।

सूरजपाल सिंह उर्फ साकार हरि बाबा उर्फ भोले बाबा कासगंज जिले के पटयाली का रहने वाला है। 17 साल पहले पुलिस कांस्टेबल की नौकरी छोड़ सूरजपाल सत्संग करने लगा। वह आम साधु-संतों की तरह गेरुआ वस्त्र नहीं पहनता। अधिकतर वह महंगे चश्मे, सफेद पैंट-शर्ट पहनता है। गरीब और वंचित तबके के लोगों के बीच इसकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ी।

उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान में उसके लाखों अनुयायी हैं। बाबा ने अपने पैतृक गांव बहादुरनगर में बड़ा आश्रम बना रखा है, जहां हर महीने के पहले मंगलवार को सत्संग होता है। बाबा आश्रम में हो या न हो, भक्तों का हुजूम लगा रहता है। पुलिस पृष्ठभूमि के चलते बाबा पुलिस के तौर-तरीकों को जानता है। इसी से उसने वर्दीधारी स्वयंसेकों की लंबी-चौड़ी फौज खड़ी कर दी।

गहरी पैठ…
एससी/एसटी और ओबीसी वर्ग में गहरी पैठ…बाबा खुद जाटव हैं। एससी/एसटी और ओबीसी वर्ग में उसकी गहरी पैठ है। मुस्लिम भी उनके अनुयायी हैं। उसके यूट्यूब चैनल के 31 हजार सब्सक्राइबर हैं।

बसपा सरकार में लाल बत्ती कार में चलता था बाबा का काफिला
नारायण साकार हरि यानी भोले बाबा का बसपा सरकार में डंका बजता था। बसपा सरकार में भोले बाबा लाल बत्ती की गाड़ी में सत्संग स्थल तक पहुंचते थे। उनकी कार के आगे आगे पुलिस एस्कॉर्ट करते हुए चलती थी। बसपा सरकार में तत्कालीन जनप्रतिनिधि उनके सत्संग में शामिल होने पहुंचते रहे। सत्संग स्थल पर पुलिस की जगह उनके स्वयंसेवक ही कमान संभालते हैं।

करीब जाने के लिए धक्का मुक्की करने लगे। इन लोगों को सेवादारों ने डंडा दिखाकर रोकना चाहा जिससे भगदड़ मच गई। हाईवे किनारे बने गड्ढे में लोग गिरते चले गए। क्योंकि बरसात के कारण फिसलन हो रही थी लिहाजा एक के बाद एक लोग गड्ढे में गिर गए।

भक्ति कहें या अंधभक्ति। पांव छूने की होड़ ने मौत का प्रहसन रच डाला। एक तरफ बाबा के पांव छू लेने की होड़ थी, दूसरी तरफ सेवादारों की बंदिशें। लोग उनकी बंदिशें तोड़कर भागे और मौत की सरहद में जा धंसे। कोई धक्के से गिरा तो कोई फिसलकर। किसी का सीना कुचला तो किसी का सिर। उमस पहले से सांसों पर भारी थी। अस्पतालों में भर्ती लोगों से जब बात की गई तो उनका कहना था कि भीड़ के बीच सांस लेना तक मुश्किल हो रहा था। इसी दौरान भगदड़ मच गई।

दोपहर को दो बजे सत्संग समाप्त होने के बाद भीड़ हाईवे किनारे खड़ी बसों की तरफ बढ़ रही थी। इस भीड़ में राजस्थान, मध्यप्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश की महिलाएं, पुरुष और बच्चे थे। जब भीड़ हाईवे की तरफ पहुंची तो सत्संग स्थल से हाईवे को जाने वाला रास्ता बंद होने लगा। इसी दौरान आयोजकों ने माइक से घोषणा शुरू की। सेवादारों को निर्देश दिए जा रहे थे कि वह भीड़ को रोककर बाबा के काफिले को गुजारने का रास्ता बनाएं। बस फिर क्या था 250 सेवादारों का जत्था भीड़ को रोककर खड़ा हो गया। भीड़ में सबसे आगे महिलाएं बताई जा रही हैं।

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि कुछ लोग सेवादारों से कह रहे थे कि उन्हें जाने दो भीड़ में दिक्कत हो रही है। लेकिन सेवादारों ने उनकी एक न सुनी। बार-बार कहते रहे कि पहले बाबा गुजरेंगे उसके बाद लोग। अभी सेवादार भीड़ को हिदायत दे ही रहे थे कि बाबा का काफिला यहां से गुजरने लगा। बस फिर क्या था बाबा के करीब पहुंचने की होड़ सी मच गई। बाबा की गाड़ी को स्पर्श करने के लिए भी लोग भीड़ को चीरकर आगे बढ़ रहे थे।
करीब जाने के लिए धक्का मुक्की करने लगे। इन लोगों को सेवादारों ने डंडा दिखाकर रोकना चाहा जिससे भगदड़ मच गई। हाईवे किनारे बने गड्ढे में लोग गिरते चले गए। क्योंकि बरसात के कारण फिसलन हो रही थी लिहाजा एक के बाद एक लोग गड्ढे में गिर गए।

लोग मरते गए बाबा के कारिंदे गाड़ियों से भागते रहे
भगदड़ के दौरान लोग मरते रहे और बाबा के कारिंदे गाड़ियों से भागते रहे। किसी ने भी रुककर हालात को जानने की कोशिश नहीं की। बताया जा रहा है कि यहां से बाबा का काफिला एटा की तरफ रवाना हु्आ था। बाबा के काफिले में 10 लग्जरी गाड़ियां थीं। उनका सुरक्षा दस्ता भी तीन गाड़ियों में था। घटना के बाद जब आयोजकों ने उन्हें फोन करने की कोशिश की तो किसी का भी फोन रिसीव नहीं हुआ। बाद में तो खुद बाबा का मोबाइल भी स्विच ऑफ हो गया था। जब बाबा का फोन स्विच ऑफ हुआ तो जो स्थानीय लोग आयोजन से जुड़े हुए थे वह भी मौका देखकर भाग निकले।