आश्चर्य जरूर होगा: ‘विष्णु’ राज में अंधेरे में रहे ‘बजरंग बली’,भक्तों ने रायपुर में टार्च की रोशनी में पढ़ी हनुमान चालीसा,सामने आई बड़ी वजह…

0:00

जी हां आप सही सुन रहे हैं। आपको सुनकर ये आश्चर्य जरूर हुआ होगा पर ये सौ प्रतिशत सही है। ऐसा ही देखने को मिला है छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में।

जी हां आप सही सुन रहे हैं। आपको सुनकर ये आश्चर्य जरूर हुआ होगा पर ये सौ प्रतिशत सही है। ऐसा ही देखने को मिला है छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में। दरअसल, महादेवघाट स्थित हनुमान मंदिर रात नौ बजे तक अंधेरे में डूबा रहा। मजबूरन संकटमोचन के दिन यानी मंगलवार को भक्तों ने टार्च जलाया और उसकी रोशनी में हनुमान चालीसा का पाठ किया। अंधरे में मंदिर डूबे रहने पर श्रद्दालुओं ने शासन-प्रशासन के प्रति भारी नाराजगी जताई। बीजेपी के सुशासन और सीएम विष्णुदेव साय के राज में बजंरग बली अपने मंगलवार के दिन ही अंधेरे में रहे। दोपहर डेढ़ बजे से मंदिर की लाइट काट दी गई और रात नौ बजे तक मंदिर अंधेरे में डूबा रहा।

प्रतिदिन की तरह शाम सात बजे मंदिर के पुजारी रवि शास्त्री ने पूजा और आरती करने की तैयारी शुरू की। उन्होंने बेहद दुखी मन से दीये और सर्च लाइट की रोशनी में पूचा अर्चना की और हनुमान जी की आरती उतारी। वहीं भक्तों ने भी अंधेरे में पूजा और आरती की। इस दौरान मंदिर परिसर में जो भी श्रद्दालु और भक्त पहुंचे, वो भी टार्च की रोशनी में हनुमान चालीसा का पाठ पढ़े।

विद्युत सब स्टेशन चंगोराभाठा फोन करके मंदिर के अंधेरे में डूबे होने की सूचना दी। विभाग के सहायक अभियंता से मोबाइल पर मामले की शिकायत कर और बिजली चालू कराने के बात कही। तब जाकर रात नौ बजे के बाद बिजली बहाल की गई। मंदिर परिसर रोशनी से गुलजार हो उठा। मंदिर के पुजारी और श्रद्दालुओं ने राहत की सांस ली।

क्या था मामला
मंदिर के पुजारी और वहां के कार्यकर्ताओं ने बताया कि दोपहर में नगर निगम रायपुर का तोड़-फोड़ दस्ता मंदिर परिसर पहुंचा। करीब आठ साल पहले मदिर के मेन गेट के पास तोड़फोड़ हुए अवैध कब्जे के मलबे को आज पूरी तरह से हटाने पहुंचा था। बुलडोजर से ध्वस्त दुकानों की छतों और दीवारों को पूरी तरह से हटा दिया गया। इस दौरान सुरक्षा के मद्देनजर लाइट काट दी गई ताकि बरसात में किसी प्रकार से कोई जनहानि न हो। दोपहर से शाम तक निगम को फोडू दस्ता काम करता रहा। वहीं बिजली विभाग के कर्मचारी लाइट काटने के बाद शाम को दोबारा चालू कराना भूल गये। इस वजह से रात नौ बजे तक मंदिर परिसर अंधरे में डूबा रहा।