महादेव सट्टा एप के जरिए करीब 10 हजार करोड़ के अवैध कारोबार करने का मुख्य आरोपी सौरभ चंद्राकर आखिरकार गिरफ्तार कर लिया गया है. महादेव ऑनलाइन सट्टा एप के इस मास्टर माइंड की गिरफ्तारी UAE से हुई है. भारत के ED के अनुरोध पर इंटरपोल ने रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया था, जिसके बाद संयुक्त अरब अमीरात के अधिकारियों ने उसे गिरफ्तार किया. अब उसे भारत लाने की प्रक्रिया केन्द्रीय एजेंसियों द्वारा की जा रही है।
महादेव सट्टा एप के जरिए करीब 10 हजार करोड़ के अवैध कारोबार करने का मुख्य आरोपी सौरभ चंद्राकर आखिरकार गिरफ्तार कर लिया गया है. महादेव ऑनलाइन सट्टा एप के इस मास्टर माइंड की गिरफ्तारी UAE से हुई है. भारत के ED के अनुरोध पर इंटरपोल ने रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया था, जिसके बाद संयुक्त अरब अमीरात के अधिकारियों ने उसे गिरफ्तार किया. अब उसे भारत लाने की प्रक्रिया केन्द्रीय एजेंसियों द्वारा की जा रही है. लेकिन अब इसे लेकर छत्तीसगढ़ में नेताओं से लेकर अफसरों तक की धड़कने तेज हो गई है. जो असल में सौरभ चंद्राकर के कारोबार को बढ़ाने, उसे देश से बाहर भगाने व इसके लिए सुविधा मुहैया कराने में कहीं न कहीं से सहयोगी रहे है. दिलचस्प ये है कि महादेव सट्टा एप के मामले में कांग्रेस के साथ-साथ बीजेपी नेताओं पर भी आरोप है. सवाल अब ये उठ रहा है कि जब सौरभ चंद्राकर भारत लाया जाएगा तो पूछताछ में कौन-कौन से राज उगलेगा? किस पर संकट के बादल मंडराएंगे ? अब ये बहस का विषय भी बन गया है।
भिलाई से है कनेक्शन
महादेव सट्टा ऐप के तार भिलाई से जुड़े हुए हैं और यहां पर हुई बड़ी कार्रवाई के बाद सारे दस्तावेज ईडी को सौंपे गए थे। इस मामले में कई लोगों की गिरफ्तारी हुई थी और महज मुचलके की जमानत में रिहा हो गए,कई जगह ईडी की रेड भी पड़ी थी।
ईडी कर रही है जांच
महादेव सट्टा ऐप में मनी लॉड्रिंग मामले की जांच ईडी कर रही है। छत्तीसगढ़ में ईडी की कार्रवाई लंबे समय से जारी है। ईडी ने इस मामले में छत्तीसगढ़ पुलिस के सहायक उप-निरीक्षक चंद्रभूषण वर्मा, एसोसिएट कमिश्नर अभिषेक चंद्राकर, पर्यवेक्षक अनिल दम्मानी और सुनील दम्मानी को गिरफ्तार किया था। महादेव बुक से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में विनोद वर्मा से भी पूछताछ की गई थी। इस मामले में अभी तक 11 लोगों को अरेस्ट किया गया है।
पूर्व सीएम बघेल का नाम एफआईआर में
महादेव सट्टा एप मामले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का नाम बाकायदा एफआईआर में भी दर्ज है. कहा गया कि उन पर सरगना समेत मामले के दूसरे आरोपियों को यहां से बाहर भगाने व संरक्षण में हाथ रहा है. हालांकि इस मामले में खुद भूपेश बघेल का कहना है कि उन्हें फंसाने के लिए ईडी के आकाओं ने निर्देश दिया था. इसीलिए उनका भी नाम जोड़ा गया है. इसी तरह कई अन्य नेताओं पर बिचौलिए की भूमिका निभाने का आरोप है।
बीजेपी के बड़े नेताओं पर भी साठगांठ का आरोप
दूसरी ओर, पूर्व सीएम भूपेश बघेल समेत प्रदेश के व राष्ट्रीय स्तर के कांग्रेसी नेता मामले के खुलासा होने के बाद से ही बीजेपी के बड़े नेताओं को कटघरे में खड़े करते रहे हैं. उनका कहना था कि स्थानीय पुलिस पहले से ही आरोपियों को पकड़ने के लिए सक्रिय थी. यहां तक कि आरोपियों के भागने के बाद उनके प्रत्यर्पण के लिए भी विदेश मंत्रालय से लगातार पत्राचार किया गया. लेकिन इस पर कभी ध्यान नहीं दिया गया. बाद में भी जांच व कार्रवाई में विलंब करने पर सवाल उठाते हुए कई कांग्रेसी दिग्गजों ने बीजेपी नेताओं पर साठगांठ का आरोप लगाया।
ED अफसरों को भी घेरा गया, राज्य के अफसर भी नहीं बख्शे गए
यही नहीं, ईडी द्वारा प्रकरण को अपने हाथों में लेने के बाद इस एजेंसी के बड़े अफसरों पर भी आरोप लगाया गया कि ऊपर सब मिलीभगत हो गई है. यही वजह है कि इसमें देरी की जा रही है. दूसरी ओर, राज्य के कई अफसरों पर भी बीजेपी के नेताओं ने आरोप लगाया है, जिसमें उन्हें मीडिएटर की भूमिका निभाने का दोषी बताया गया है. सौरभ चंद्राकर को उसका कारोबार बढ़ाने में मदद करने को लेकर भी ये आरोप लगाए गए हैं।
अब आगे क्या होगा?
माना जा रहा है कि सौरभ चंद्राकर के भारत, विशेषकर रायपुर लाकर ईडी द्वारा जो पूछताछ की जाएगी, उसमें कई बड़े राज खुल सकते हैं. इसमें जितने भी एक-दूसरे पर जो आरोप लगाए गए हैं, उसकी सच्चाई सामने आ सकती है और दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा. हालांकि केंद्र में बीजेपी की सरकार होने से कांग्रेसी नेता एक बार फिर मामले की जांच में उनकी दखल का आरोप लगा सकते हैं।