असम के उग्रवादियों की तर्ज पर होगा छत्तीसगढ़ में नक्सलियों का पुनर्वास, मिलेगा सरकारी योजनाओं का लाभ,पढ़िए पूरी रिपोर्ट पुनर्वास नीति क्यों जरूरी

0:00

असम में जिस तरह उग्रवादियों का पुनर्वास किया गया उसी तर्ज पर छत्तीसगढ़ में नक्सलियों का पुनर्वास किया जाएगा। राज्य के स्थापना दिवस एक नवंबर को शुरू की जाने वाली पुनर्वास नीति में इस तरह के प्रविधान किए जाने हैं जिनसे आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों का घर बसाया जा सके। उनके लिए आवास की व्यवस्था करने के साथ ही जरूरत की सभी चीजें दी जाएंगी।

असम में जिस तरह उग्रवादियों का पुनर्वास किया गया, उसी तर्ज पर छत्तीसगढ़ में नक्सलियों का पुनर्वास किया जाएगा। राज्य के स्थापना दिवस एक नवंबर को शुरू की जाने वाली पुनर्वास नीति में इस तरह के प्रविधान किए जाने हैं, जिनसे आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों का घर बसाया जा सके। उनके लिए आवास की व्यवस्था करने के साथ ही जरूरत की सभी चीजें दी जाएंगी। सरकार इसके लिए अलग से बजट का प्रविधान करेगी।

समर्पित किए गए गोला-बारूद के लिए भी प्रोत्साहन
जानकारी के मुताबिक, उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा असम सरकार की उग्रवादियों के पुनर्वास की नीति का अध्ययन कर चुके हैं। उन्होंने वहां उग्रवादियों के आत्मसमर्पण और पीड़ित स्वजन को दी जा रही सुविधाओं के बारे में जानकारी ली है। पुनर्वास नीति के ज्यादातर प्रविधान असम से लिए गए हैं। इनमें आवास देने के साथ ही स्वरोजगार के लिए बैंक से ब्याज मुक्त लोन, मासिक गुजारे के लिए अनुदान राशि, समर्पित किए गए गोला-बारूद के लिए भी प्रोत्साहन और आत्मसमर्पण व पुनर्वास के लिए शिविर का आयोजन करने जैसे प्रविधान शामिल हैं।

801 नक्सली गिरफ्तार और 742 नक्सलियों ने समर्पण किया
उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि पूर्व नक्सलियों को सरकार की सभी योजनाओं का लाभ मिलेगा। राज्य सरकार उनके साथ नरम और गरम दोनों नीति पर चल रही है। जनवरी से अब तक राज्य में 194 नक्सलियों को मुठभेड़ में मारा गया है। 801 नक्सली गिरफ्तार और 742 नक्सलियों ने समर्पण किया है।

पुनर्वास नीति इसलिए जरूरी

विशेषज्ञों के अनुसार, पूर्वोत्तर राज्यों में खासकर असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड और त्रिपुरा में उग्रवादियों के आत्मसमर्पण व पुनर्वास की नीति के बाद वहां हिंसा पर नियंत्रण पाया गया है। उसी फार्मूले से छत्तीसगढ़ में भी नक्सलियों का अंत किया जा सकता है। इसके लिए पुनर्वास नीति बहुत जरूरी है, क्योंकि गुमराह होकर हार्डकोर नक्सलियों के दुष्चक्र में फंस गए युवकों को मुख्यधारा में लाने के बाद उनको दोबारा नक्सलियों के चंगुल में फंसने से रोकने की चुनौती होगी।

पुनर्वास नीति के तहत इनको मिला लाभ
उग्रवादियों को आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति के तहत भूमि का पट्टा उपलब्ध कराया गया है, उसमें 29 जुलाई 2015 को हथियार डालने वाले प्रतापपुर प्रखंड के गोमे गांव निवासी शंकर पासवान, 21 दिसंबर 2015 को आत्मसमर्पण करने वाला बसबुटा गांव का ही नरेंद्र यादव के अलावा लिपदा गांव के संजय पासवान एवं जोलहबिघा के मन्नु यादव को जोगियारा गांव में चार-चार डिसमिल जमीन उपलब्ध कराई गई है।