दल्ली राजहरा में तीन दिनों से चली आ रही लोक आस्था का महापर्व छठ आज उगते सूर्य को अर्ध्य देने के साथ ही हुआ समाप्त l

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दल्ली राजहरा में तीन दिनों से चली आ रही लोक आस्था का महापर्व छठ आज उगते सूर्य को अर्ध्य देने के साथ ही हुआ समाप्त l

प्रमोद तिवारी ने कहा कि हिंदू धर्म में हर जगह पूजा के समय उगते सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है l लेकिन यह हमारा एक ऐसा त्यौहार है जहां उगते सूर्य के साथ-साथ डूबते सूर्य को भी अर्ध्य दिया जाता है l छठी मैया को जो भी मुरादे मांगी जाती है l वह तत्काल पूरा होता है l आज छठ पूजा का आयोजन दल्ली राजहरा के छठ घाट पर हुआ है l छत्तीसगढ़ यूपी बिहार समन्वय समिति की ओर से पूरे दल्ली राजहरा को छठ पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं l

दल्लीराजहरा लौहनगरी खदान की शुरुआत होते ही रोजगार के लिए अन्य प्रति के अलावा यूपी बिहार से भी लोग दल्ली राजहरा आए थे- दल्ली राजहरा में रोजगार की तलाश में आने के साथ-साथ वह अपने संस्कृति परंपरा भी साथ लेते आए इसी परंपरा और अपने संस्कृति को पूर्ण निष्ठा के साथ निभाते हुए दल्ली राजहरा में निवासरत यूपी, बिहार समुदाय के लोग छठ पर्व बड़ी धूमधाम के साथ मनाए l
जहा सीमित के द्वारा बीएसपी टाउनशिप स्थित छठ घाट की साफ सफाई और पूजा के लिए वेदी बनाये गए ।
नपा द्वारा टाउनशिप स्थित छठ घाट परिसर व सड़क की सफाई किया गया तथा प्राकृतिक तालाब को जल से भरा गया l इस दौरान नपा अध्यक्ष शिबू नायर के द्वारा मौके पर उपस्थित होकर पूरी तन्मयता से सहयोग किया गया l

इस महापर्व में खरना के तहत महिलाएं पूरे दिन निर्जला उपवास करती हैं। कठोर नियमों का पालन करना होता है। शाम को वही घर वालों के लिए भोजन भी बनाती हैं। पूड़ी और तस्मई (गुड़ या शक्कर की खीर) प्रमुख होते हैं। तस्मई में एक बूंद पानी का प्रयोग नहीं होता है और दूध उसी गाय का इस्तेमाल किया जाता है जिसका बछड़ा जीवित रहता है। शाम को भोजन बनाने से खाली होकर महिलाएं पूजा पर बंद कमरे में बैठती हैं। वे प्रसाद ग्रहण कर अपने उपवास का पारण करती हैं।

तीसरे दिन व्रती महिलाओं का उपवास फिर शुरू हो जाता है, जो लगभग 36 घंटे चलता है। यह भी निर्जला होता है। परिवार के बच्चे या युवा डलिया और सूप तैयार करते हैं, जिनमें ठेकुआ, लडुआ, सांच और घर के पास उगने वाली कोई भी फसल गन्ना, संतरा, सेब से लेकर मूली, केला, मूंगफली, मकई तक हो सकते हैं। घर के पुरुष इन डलियों को सिर पर लेकर घर से घाट तक जाते हैं। व्रती महिलाएं जल में स्नान कर ढलते सूर्य की वंदना करती हैं। वे हर डलिया को एक दीप के साथ हाथ में लेतीं हैं वे और परिवार के अन्य सदस्य डलिया में जल और दूध से अध्य देते हैं। महिलाएं फिर एक बार स्नान करतीं हैं और घाट पर पूजा होती है। डलिया को पुरुष सदस्य वापस घर ले आते हैं और इसे सहेज कर रातभर के लिए ऐसी जगह स्थापित किया जाता है, जहां गलती से स्पर्श, पैरों का लगना आदि न हो।
आज सुबह 4:00 बजे से ही अपने-अपने घरों से लोग उगते सूर्य को अर्द्ध देने के लिए अपने परिवार के साथ लोग छोटी-छोटी टोली बनाकर छठ घाट जा रहे थे l कई परिवार बैंड बाजा साथ में था तो कोई छठी मैया के लोकगीत गाते हुए छट घाट पहुंचे थे l
हजारों की भीड़ में व्रती महिलाएँ सुबह पानी में उतर कर सूर्योदय का इंतजार कर रही थी जहां सूर्य देव के प्रकट होते ही जल और दूध का अध्य दिया गया।

भारतीय जनता पार्टी मंडल अध्यक्ष राकेश द्विवेदी ने आस्था और विश्वास का महापर्व छठ की हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए कहा कि छठी मैया का आशीष पूरे दल्ली राजहरा में बनी रहे l यूपी बिहार समन्वय समिति के के द्वारा बेहतरीन आयोजन किया गया है l जिसमें सुबह से सूर्य देवता को अर्धय देने के लिए माताएं बहने अपने परिवार के साथ पहुंची है l ईश्वर से प्रार्थना है कि उनकी मनोकामना पूर्ण करें l तथा दल्ली राजहरा वासियों को छठ महापर्व की हार्दिक शुभकामनाएं एवं ढेर सारी बधाई l