मुफ्त में बीमारी परोस रही रसमड़ा – बोरई औद्योगिक क्षेत्र की फैक्ट्रियां:- मिश्रा

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मुफ्त में बीमारी परोस रही रसमड़ा – बोरई औद्योगिक क्षेत्र की फैक्ट्रियां – मिश्रा
चिमनी के प्रदूषित धुएं और सड़क की धूल से लोगों का सांस लेना हुआ दूभर
खेतों की फसल के साथ तालाब और नदी – नालों पर पड़ रही प्रदूषण की मार

भिलाई । हिंद मजदूर सभा (एचएमएस) के छत्तीसगढ़ राज्य कार्यवाहक अध्यक्ष एचएस मिश्रा ने प्रदूषण को लेकर रसमड़ा – बोरई औद्योगिक क्षेत्र के उद्योगपतियों को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि रसमड़ा – बोरई औद्योगिक क्षेत्र की फैक्ट्रियां लोगों को मुफ्त में बीमारियां परोस रही है। फैक्ट्रियों के चिमनी से निकलने वाले प्रदूषित धुएं और जर्जर सड़क की धूल से लोगों का सांस लेना दूभर हो गया है। वहीं खेत खलिहान की फसल के साथ साथ तालाब और नदी – नालों पर भी प्रदूषण की मार इन फैक्ट्रियों की वजह से पड़ रही है।

प्रदेश के वरिष्ठ श्रमिक नेता एवं एचएमएस छत्तीसगढ़ राज्य के कार्यवाहक अध्यक्ष एचएस मिश्रा ने बताया कि रसमड़ा – बोरई औद्योगिक क्षेत्र के आसपास के ग्रामीण प्रदूषण से परेशान हैं। क्षेत्र में चलने वाली फैक्ट्रियों की चिमनी से निकलने वाले प्रदूषित धुएं से लोगों का सांस लेना भी दूभर हो रहा है। इन औद्योगिक क्षेत्र के आस-पास के अंजोरा, खपरी, सिलोदा, रसमड़ा, पिपरछेड़ी, गनियारी, बोरई, जोरातराई व मनगटा में रहने वाले ग्रामीणों का बुरा हाल है। लगातार बढ़ते वायु प्रदूषण के बाद भी प्रशासनिक अधिकारी मौन है।

श्री मिश्रा ने बताया कि रसमड़ा व बोरई औद्योगिक क्षेत्र में केमिकल फैक्ट्री, स्पंज आयरन फैक्ट्री, रोलिंग मिल, पावर प्लांट और अनेक ब्रेवरीज स्थिति है। इन उद्योगों को संचालित करने वाले उद्योगपतियों का पूरा ध्यान अपनी कमाई पर है। प्रदूषण को नियंत्रित करने का कोई मापदंड उद्योगपतियों द्वारा पूरा नहीं किया जा रहा है। चिमनियों से निकलने वाले जहरीले धुएं से ग्रामीणों को त्वचा व स्वांस संबंधी बीमारी हो रही है। वहीं खेत और खलिहान के फसल पर भी नकारात्मक असर देखने को मिल रहा है। उन्होंने कहा कि सड़कें जर्जर हो चुकी है। इसी जर्जर सड़क से फैक्ट्रियों में माल का परिवहन होने से हर समय धूल का गुबार उड़ता रहता है। जिससे आने जाने वालों को परेशानी होती है। श्री मिश्रा ने कहा कि जिस सड़क का अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है उसका निर्माण भी उद्योगपतियों को करना चाहिए। वहीं धूल न उड़े, इसके लिए पानी छिड़काव करने के नियम का पालन होना चाहिए।

श्री मिश्रा ने इस बात के लिए भी उद्योगपतियों की निंदा की है कि सीएसआर मद से आसपास के गांव में किसी तरह का विकास कार्य नहीं कराया जाता। उन्होंने कहा कि औद्योगिक इकाइयों के लिए सीएसआर मद से निश्चित दायरे में शामिल गांवों में जनभावना के अनुरूप विकास कार्य कराए जाने का प्रावधान सुनिश्चित किया गया है। लेकिन रसमड़ा – बोरई औद्योगिक क्षेत्र के फैक्ट्री संचालक इस प्रावधान की अनदेखी कर रहे हैं। प्रदूषण सहित सीएसआर मद से विकास को लेकर पूर्व में अखबारों के माध्यम से शासन प्रशासन का ध्यानाकर्षण कराया जाता रहा है। बावजूद इसके समस्या जस की तस बनी रहने से ग्रामीणों में बढ़ रहा जन आक्रोश कभी भी विस्फोटक रुप धारण कर सकता है।