भाजपा नेता और पूर्व सांसद नवनीत राणा पर फेंकी गई कुर्सियां,नवनीत राणा ने सुनाई हमले की आपबीती,बॉडीगार्ड घायल,जानें किसने किया हमला

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नवनीत राणा के अनुसार, जब वे सभा में भाषण दे रही थीं, तभी कुछ लोगों ने उन्हें गंदे इशारे किए और ‘अल्लाह हू अकबर’ के नारे लगाए. जैसे ही राणा का भाषण समाप्त हुआ, उन पर कुर्सियां फेंकी गईं. नवनीत राणा ने बताया कि उनके सुरक्षा गार्डों ने उन्हें सुरक्षित वाहन तक पहुंचाया, लेकिन हिंसक भीड़ ने उन पर गालियां देते हुए हमला करने की कोशिश की।

महाराष्ट्र के अमरावती जिले में पूर्व सांसद और बीजेपी नेता नवनीत राणा की रैली में हुए हंगामे को लेकर अब हैरान करने वाले खुलासे हो रहे हैं. जानकारी के अनुसार, खल्लार गांव में नवनीत राणा पर यह हमला हुआ था. यह घटना उस समय हुई जब नवनीत राणा अपने विधायक पति रवि राणा की युवा स्वाभिमान पार्टी के उम्मीदवार रमेश बुंदिले के समर्थन में प्रचार कर रही थीं।

अल्लाह हू अकबर’ के लगे नारे

नवनीत राणा ने आरोप लगाया है कि जब वे सभा में भाषण दे रही थीं, तभी कुछ लोगों ने उन्हें गंदे इशारे किए और ‘अल्लाह हू अकबर’ के नारे लगाए. जैसे ही राणा का भाषण समाप्त हुआ, उन पर कुर्सियां फेंकी गईं. इसके बाद सभा में हंगामा मच गया. नवनीत राणा ने बताया कि उनके सुरक्षा गार्डों ने उन्हें सुरक्षित वाहन तक पहुंचाया, लेकिन हिंसक भीड़ ने उन पर गालियां देते हुए हमला करने की कोशिश की।

राणा ने पुलिस थाने में 40 से 50 अज्ञात लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है. उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि आरोपियों को जल्द गिरफ्तार नहीं किया गया, तो हिंदू संगठन आंदोलन करेंगे. पुलिस ने इस मामले में अपराध दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. किसी भी अफवाह पर ध्यान न देने की अपील की गई है। पुलिस ने कहा है कि ऐसा करने वालों के खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाएगा. पुलिस और प्रशासन ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है।

पिछले महीने मिली थी धमकी

पिछले महीने अक्टूबर में पूर्व सांसद नवनीत राणा को पत्र भेजकर धमकी दी गई थी और 10 करोड़ रुपए की मांग की गई थी. नवनीत राणा की शिकायत के बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी थी. अमरावती की पूर्व सांसद को स्पीड पोस्ट के जरिए आमिर नामक व्यक्ति ने पत्र भेजा और पैसों की मांग की थी. राणा के निजी सचिव विनोद गुहे ने अमरावती के राजापेठ पुलिस थाने में औपचारिक शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि यह पत्र 11 अक्टूबर को राणा के आवास पर एक कर्मचारी को मिला था।