रसिक चंद्र मंडल का जन्म 1920 में मालदा जिले के एक गुमनाम गांव में हुआ था। इसी साल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने अंग्रेजों के खिलाफ असहयोग आंदोलन शुरू किया था। मंडल ने एक सदी से भी अधिक समय बाद अपनी आजादी के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।
हत्या के दोषी 104 साल के बुजुर्ग को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। अदालत ने उन्हें अंतरिम जमानत दे दी है। पश्चिम बंगाल के मालदा जिले में जन्मे रसिक चंद्र मंडल 1988 में की गई एक हत्या के दोषी हैं। उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने अपने आदेश में कहा, ‘हम निर्देश देते हैं कि याचिकाकर्ता मंडल को रिट याचिका के लंबित रहने के दौरान ट्रायल कोर्ट की शर्तों पर अंतरिम जमानत दी जाए।’
रसिक चंद्र मंडल का जन्म 1920 में मालदा जिले के एक गुमनाम गांव में हुआ था। इसी साल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने अंग्रेजों के खिलाफ असहयोग आंदोलन शुरू किया था। मंडल ने एक सदी से भी अधिक समय बाद अपनी आजादी के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। वह फिलहाल आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं।
हत्या के मामले में हुई थी सजा
1988 में एक हत्या के मामले में 1994 में दोषी ठहराए जाने के बाद, जब वह 68 साल के थे, और आजीवन कारावास की सजा काट रहे थे। उन्हें उम्र संबंधी बीमारियों के कारण जेल से पश्चिम बंगाल के बालुरघाट के सुधार गृह में ट्रांसफर कर दिया गया था। सजा के खिलाफ उनकी अपील को 2018 में कलकत्ता हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था। इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, मगर यहां भी उसे निराशा हाथ लगी।
साल 2020 में दायर की थी याचिका
मंडल ने 2020 में सुप्रीम कोर्ट में एक रिट याचिका दायर की थी, जब वह सौ साल पूरे करने से एक साल दूर थे। उन्होंने बुढ़ापे और संबंधित बीमारियों का हवाला देते हुए समय से पहले रिहाई की मांग की थी। साथ ही पैरोल या सजा में छूट के लिए पात्र होने के लिए 14 साल सलाखों के पीछे बिताने के मानदंड से छूट मांगी थी।
2019 से जेल में
अब रिटायर्ड जस्टिस ए अब्दुल नजीर और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने सात मई, 2021 को पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी किया था। नोटिस में सुधार गृह के सुपरिटेंडेंट को मंडल की शारीरिक स्थिति और स्वास्थ्य के बारे में एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा था, जो 14 जनवरी, 2019 से जेल में हैं।
जल्द मनाएंगे 104वां जन्मदिन
शुक्रवार को यह मामला चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच के समक्ष लिस्टेड हुआ। यहां मंडल के स्वास्थ्य की स्थिति के बारे में पूछा गया। इस पर पश्चिम बंगाल राज्य की वकील आस्था शर्मा ने पीठ को बताया कि उन्हें स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हैं। हालांकि, उनकी हालत स्थिर है और वह जल्द ही अपना 104वां जन्मदिन मनाएंगे। अदालत ने मंडल की उम्र को ध्यान में रखते हुए अंतरिम जमानत मंजूर कर ली।
हाईकोर्ट में कई सालों तक चला केस
मंडल को 12 दिसंबर, 1994 को ट्रायल कोर्ट ने दोषी ठहराया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इसके तुरंत बाद उन्होंने कलकत्ता हाईकोर्ट में अपनी सजा के खिलाफ अपील की थी। हालांकि, 5 जनवरी, 2018 को उनकी सजा और सजा को बरकरार रखने में हाईकोर्ट ने करीब 25 साल लग गए।
जीवन के अंतिम दिनों में परिवार के साथ
11 मार्च, 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ उनकी अपील खारिज कर दी। उन्होंने अपने 48 वर्षीय बेटे के माध्यम से रिट याचिका दायर की थी। इसमें उन्होंने अनुरोध किया था कि उन्हें जेल से रिहा किया जाए ताकि वे अपने जीवन के आखिरी दिन परिवार के सदस्यों के साथ बिता सकें।