जल, जंगल और जमीन पर मूल निवासियों का अधिकार है यदि सरकार इसका दोहन करती है तो इसमें मूल निवासियों को भी इसका लाभ मिलना चाहिए, सरकार बस्तर में मूल निवासी बचाओ मंच से अविलंब प्रतिबंध हटाए l :-जीत गुहा नियोगी अध्यक्ष जन मुक्ति मोर्चा
छत्तीसगढ़ के द्वारा बस्तर में मूल निवासी बचाओ मंच पर सरकार के द्वारा लगाई गई प्रतिबंध को हटाने के लिए अध्यक्ष जीत गुहा नियोगी की अगुवाई में विशाल रैली निकाली गई l इसमें हजारों की संख्या में कार्यकर्ता उपस्थित हुए l रैली जनमुक्ति मोर्चा कार्यालय से होते हुए शहीद वीर नारायण सिंह चौक पुराना बाजार से गुप्ता चौक से शहीद शंकर गुहा नियोगी चौक बस स्टेशन से थाना चौक होते हुए अनुविभागीय अधिकारी कार्यालय पहुंचा l जहां संगठन के अध्यक्ष जीत गुहा नियोगी , ईश्वर निर्मलकर , बसंत रावटे , शिवा सिंह , संजय सिंह , मूलचंद निषाद के अगुवाई में अनुविभागीय अधिकारी को महामहिम राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौपा गया l
उसके बाद रैली जैन भवन चौक में पहुंच कर आमसभा में तब्दील हुई l जन मोर्चा के अध्यक्ष जीत गुहा नियोगी ने आम सभा को संबोधित करते हुए कहा कि जल जंगल और जमीन पर मूल निवासियों का अधिकार है l यदि सरकार इसका दोहन करती है तो इसमें मूल निवासियों को भी इसका लाभ मिलना चाहिए तथा संसाधनों के दोहन में यह भी ध्यान रखना चाहिए कि प्रकृति को नुकसान न पहुंचे l
मुल निवासी बचाओ मंच जो बस्तर के आदिवासीयों के उपर हो रहे शोषण , दमण ,अत्याचार व निर्मम हत्या जैसे गम्भीर विषयों को उठाते आ रहे थे। जिसमें सरकार द्वारा जन सुरक्षा कानून के तहत प्रतिबंध लगा दिया, जिसका जन मुक्ति मोर्चा छत्तीसगढ़ घोर निंदा करती है। यह मूल निवासी आदिवासी लोग जंगल में निवास करते हैं उनके पास पहनने के लिए कपड़ा, खाने के लिए अन्न पीने के लिए साफ पानी और बिजली की कमी है l इन लोग वनों से उपज होने वाले चीजों ,कंदमूल आदि से अपना भरण पोषण करते हैं l ये मूल आदिवासी सरकार के लिए किस तरह से खतरा पैदा हो सकता है जिसके लिए सरकार के द्वारा जन सुरक्षा कानून लाया गया है यह सरासर गलत है l
बसंत रावटे ने कहा कि जल जंगल और जमीन को बचाने के लिए बस्तर के मूल निवासी आदिवासी भाई बहनों के द्वारा जो 4 वर्षो से पूरी तरह संवैधानिक तरीके से आंदोलन किया जा रहा है l उसका जन मुक्ति मोर्चा समर्थन करता है l जन मुक्ति मोर्चा चाहता है कि बस्तर में विकास हो और वहां के जल जंगल जमीन पर वहां के निवासियों का अधिकार हो l लेकिन सरकार पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए
आंदोलन पर प्रतिबंध लगा रही है l
विदित हो की कांग्रेस व भाजपा द्वारा केन्द्र व राज्य में बारी-बारी से शासन करते हुए, बस्तर में आदिवासीयो के उपर शोषण और जुल्म जारी है l यह प्रतिबंध इस बात की पुष्टि करता है कि, अब बस्तर के हित की बात करने वाले मुलनिवासीयो को भी निशाना बनाना आसान हो जायेगा।
बस्तर से आदिवासीयो, मुल निवासीयो को विस्थापित कर आदिवासियो को खत्म कर यहां के जल जंगल जमीन खदान को बड़े उद्योग पतियो, कार्पोरेट घराना को कौड़ियो के मोल देना चाहती है। इसलिए बस्तर में कांग्रेस हो या भाजपा सत्ता में आने के बाद,बस्तर में शोषण अधारित राज करना चाहती है।
सरकार को बड़े उद्योगपतियो, कार्पोरेट के लुट के लिए रास्ता बनाने में, नक्सलियों के चुनौती के बाद, जागरूक आदिवासी जो अपने जल जंगल जमीन संस्कृति जिसमें खुद के वाद्य यंत्र साज सज्जा व अपने अस्तीत्व व स्वाभिमान के लिए सरकार के समक्ष आवाज बुलंद करने वाले मुल निवासी, आदिवासीयों के संगठन मुलनिवासी बचाओ मंच को चुनौती मानते हुए, प्रतिबंध कर दिया गया है।
बस्तर के आधे आबादी जो, अपने जान-माल संस्कृतिक समागम, अस्तित्व व स्वाभिमान के लिए सच्चाई भरे लड़ाई को अवैध बताते हुए, प्रतिबंधित किया गया है, जन मुक्ति मोर्चा सरकार से पूछना चाहती है। क्या बस्तर के आधे अबादी जो सरकार की नजर में राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गम्भीर बन चुके आदिवासीयो से वोट की खातिर आदिवासी एकता विकास और भाई चारे की बात करेगा या फिर इन प्रतिबंधीत आदिवासियो से मतदान के अधिकार को छिन लिया जावेगा ?
जन मुक्ति मोर्चा (छ.ग.) मुल निवासीयो को अपने, मुलनिवासी बचाओ मंच पर सरकार के संरक्षण के तहत लुट के उद्देश्य से किये गये प्रतिबंध की घोर निन्दा करती है, व देश भर के मानवाधिकार जन संगठन बुद्धिजीवी छात्र संगठन जन कला सांस्कृतिक कलाकार व आम नागरिको से आह्वान करती है कि सरकार के इस नितियों के खिलाफ एक जुट होकर आंदोलन की अपील करती है। ताकि बस्तर के सोना चांदी लोहा, अयस्क नदी नालो, जल जंगल पहाड़ को बड़े उद्योग पतियो कारपोरेट घराना से बस्तर के आदिवासीयो की सम्पत्ती को चारागाह बनने से बचाया जा सके ।