अंतरराष्ट्रीय पंडवानी गायिका छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर तीजन बाई का स्वास्थ्य लगातार खराब होता जा रहा है। परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने से उनका इलाज नहीं हो पा रहा है। ऐसे में परिजनों ने कलेक्टर से मुलाकात की।
अंतरराष्ट्रीय पंडवानी गायिका पद्मश्री, पद्मभूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित और छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर तीजन बाई का स्वास्थ्य लगातार खराब होता जा रहा है। इसको लेकर तीजन बाई की बहू ने दुर्ग कलेक्टर से मुलाकात की और अपनी आर्थिक स्थिति के संबध में जानकारी दी। इसके बाद दुर्ग कलेक्टर ने जिला प्रशासन के अधिकारियों को निर्देशित किया है।
बता दें कि आठ महीने से तीजन बाई को पेंशन भी नहीं मिल रही है। इसके साथ ही उनकी आर्थिक स्थिति भी खराब है। अब परिजनों ने उनके इलाज को लेकर चिंता जाहिर की है। परिजनों ने बताया कि वह आर्थिक रूप से सक्षम नहीं हैं, ऐसे मैं छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर तीजन बाई को लेकर परिजनो का कहना है कि पिछले कुछ सालों से लगातार तीजन बाई के स्वास्थ्य में परेशानी आ रही है।
पिछले दो दिनों से उनका बीपी भी बढ़ा हुआ है और उनका स्वास्थ्य खराब है। उन्हें पद्मश्री की जो पेंशन 5000 रुपये मिलती है, वह पिछले मार्च महीने से नहीं मिली है। पेंशन नहीं मिल पाने के कारण उनका इलाज भी ठीक से नहीं हो पा रहा है। संस्कृति विभाग के अधिकारी भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। परिवार के सदस्य को यदि सरकारी नौकरी मिलती है तो उनकी जीविका का साधन बन सकता है।
वहीं, दुर्ग कलेक्टर ऋचा प्रकाश चौधरी ने बताया कि तीजन बाई छत्तीसगढ़ का गौरव हैं। उनके इलाज और वित्तीय व्यवस्था लिए हर संभव मदद जिला प्रशासन की तरफ से की जाएगी। उनके परिजनों की तरफ से जो मांग की गई है, जिसको लेकर अधिकारियों को निर्देशित किया गया है। जल्द ही उनकी मांग का निराकरण किया जाएगा।
जानें क्या है पंडवानी
बता दें कि पंडवानी छत्तीसगढ़ का एक लोक गाथा गीत है। यह महाभारत के प्रमुख पात्र पांडवों की कहानी को दर्शाती है। पंडवानी को जीवंत रूप में सुनाया जाता है, जिससे दर्शकों के मन में दृश्य बनते हैं। पंडवानी शब्द का अर्थ है पांडववाणी यानी पांडवों की कहानी। पंडवानी में संगीत की संगत भी होती है। पंडवानी में भीम कहानी के नायक होते हैं। पंडवानी को छत्तीसगढ़ के अलावा मध्य प्रदेश, ओडिशा और आंध्र प्रदेश में भी सुनाई जाती है। छत्तीसगढ़ के झाड़ूराम देवांगन और तीजन बाई पंडवानी के प्रसिद्ध गायक रहे हैं पर तीजन बाई ने पंडवानी को ख्याति दिलाई। पंडवानी को किसी त्योहार या पर्व पर नहीं, बल्कि कभी भी कहीं भी आयोजित किया जाता है। पंडवानी में तंबूरे का इस्तेमाल होता है। तंबूरा कभी भीम की गदा तो कभी अर्जुन का धनुष बन जाता है। संगत के कलाकार पीछे अर्ध चंद्राकर में बैठते हैं। उनमें से एक “रागी” होता है जो हुंकार भरते जाता है और साथ-साथ गाता है।