भाजपा के वादे हवा में, मितानिनों का संघर्ष सड़क पर: सरकार की वादाखिलाफी के खिलाफ हड़ताल,अरुण वोरा भी हुए शामिल”

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भाजपा के वादे हवा में, मितानिनों का संघर्ष सड़क पर: सरकार की वादाखिलाफी के खिलाफ हड़ताल,अरुण वोरा भी हुए शामिल”

दुर्ग:छत्तीसगढ़ की ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था को संभालने वाली मितानिनों का धैर्य अब जवाब दे चुका है। भाजपा सरकार के वादों की अनदेखी और तीन महीनों से रुके भुगतान के चलते प्रदेशभर की मितानिनें सड़क पर उतर आईं। आज दुर्ग के हिंदी भवन के सामने हजारों की संख्या में मितानिन बहनों ने ढोल-मंजीरों के साथ सरकार की नींद तोड़ने का प्रयास किया।

मितानिन संघ की दो स्पष्ट मांगें हैं:

  1. मितानिनों को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के तहत शामिल किया जाए।
  2. प्रोत्साहन राशि और क्षतिपूर्ति में 50% वृद्धि की जाए।

मोदी गारंटी’ सवालों के घेरे में
मितानिन संघ का आरोप है कि चुनाव से पहले भाजपा सरकार ने इन्हीं मांगों को अपने घोषणापत्र में जगह दी थी। मगर सत्ता में आते ही सरकार ने चुप्पी साध ली। उन्हें NHM में शामिल किए जाने का मौखिक आश्वासन मिला था, लेकिन लिखित आदेश अब तक जारी नहीं हुआ है। इसके अलावा, SHRC और NGOs के साथ काम करने पर उन्हें आर्थिक लाभ भी नहीं मिल रहा है। प्रदर्शन में शामिल दुर्गा चंद्राकर ने कहा, “जून से पेमेंट नहीं मिला, फिर भी हम 24 घंटे काम कर रहे हैं। क्या यही सम्मान है हमारे काम का?”

अरुण वोरा का समर्थन, मितानिनों को हौसला
प्रदेश के वरिष्ठ कांग्रेस नेता अरुण वोरा भी प्रदर्शन स्थल पर पहुंच और मितानिन बहनों का दर्द साझा किया। उन्होंने कहा,
“मितानिनें ग्रामीण स्वास्थ्य की रीढ़ हैं,जो दिन-रात बिना थके जनसेवा में जुटी रहती हैं। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि भाजपा सरकार ने चुनाव के समय जो वादे किए थे, उन्हें अब पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया गया है। मितानिन बहनों का यह संघर्ष न्याय के लिए है और मैं उनके साथ हूं।”

उन्होंने मितानिनों के हक की लड़ाई में हर कदम पर उनके साथ खड़े रहने का वादा किया और सरकार से जल्द से जल्द मांगें पूरी करने की अपील की, यह भी आश्वासन दिया कि वे इस बारे में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से चर्चा करेंगे।

स्वास्थ्य सेवाएं ठप, जनता बेहाल
मितानिनों की हड़ताल के चलते ग्रामीण क्षेत्रों में टीकाकरण, संस्थागत प्रसव, टीबी-कुष्ठ जैसे जरूरी स्वास्थ्य कार्यक्रमों पर गहरा असर पड़ा है। राज्यभर में मितानिनें सेवाएं बंद कर प्रदर्शन पर हैं।दुर्ग जिले में करीब 2311 मितानिन और पूरे प्रदेश में 72 हजार मितानिन कार्यरत हैं।

धरती की मितानिनें संघर्ष पर मजबूर
21 वर्षों से स्वास्थ्य सेवाओं में योगदान देने वाली मितानिनों का सवाल वाजिब है। मितानिन संघ का कहना है कि सरकार की नीतियों की वजह से उनका जीवन कठिन हो गया है। “हमने सरकार पर भरोसा किया, अब वही भरोसा टूट रहा है। जब तक लिखित में हमारी मांगें पूरी नहीं होतीं, हड़ताल जारी रहेगी।”

मितानिन संघ के इस आंदोलन में बढ़ते जनसमर्थन और वोरा के समर्थन के बाद सरकार पर दबाव और बढ़ गया है।अब यह देखना होगा कि भाजपा सरकार मितानिनों की गूंज कब सुनेगी।