छत्तीसगढ़: राज्यपाल ने लगाई फटकार; बोले- विश्वविद्यालयों को न बनायें बिजनेस का संस्थान, …तो नहीं मिलेगी पीएचडी

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निजी विश्वविद्यालयों की शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका है। ऐसे में शिक्षा की गुणवत्ता पर फोकस करें।

निजी विश्वविद्यालयों की शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका है। ऐसे में शिक्षा की गुणवत्ता पर फोकस करें। विश्वविद्यालयों को व्यवसाय का संस्थान न बनायें। निजी विश्वविद्यालयों के लिए लागू विनियमन को उन्हें मानना पड़ेगा। मापदंडों का पालन नहीं करने वाले विश्वविद्यालय पीएचडी नहीं करा सकेंगे। ऐसे विश्वविद्यालयों से अब तक जितनी पीएचडी डिग्री दी गई है, उसकी जानकारी दें। ये निर्देश छत्तीसगढ़ के राज्यपाल और कुलाध्यक्ष रमेन डेका ने आज निजी विश्वविद्यालयों की समीक्षा बैठक के दौरान कहीं।

उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से निजी विश्वविद्यालयों के लिए विनियामक आयोग का गठन सराहनीय पहल है। विश्वविद्यालय नवाचार, अनुसंधान और स्टार्टअप पर विशेष ध्यान करें। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के मापदंडों और नियमों का पालन करें। राज्यपाल ने शैक्षणिक गतिविधियों, नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन और अन्य कार्यों की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि रायपुर एजुकेशन हब के रूप में विकसित हो सकता है, जिसके लिए सभी का प्रयास जरूरी है। निजी विश्वविद्यालयों को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के गाईडलाइन और शासन के नियमों का कड़ाई से पालन करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों के हित में अकादमिक कैलेण्डर का पालन करें। उन्होंने नियमित शिक्षकों की नियुक्ति और विष्वविद्यालय अनुदान आयोग के मापदंडों के अनुरूप पात्र शिक्षकों को ही पीएचडी के लिए गाइड नियुक्त करने संबंधी निर्देष दिए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय, स्थानीय व लघु उद्योगों से समन्वय कर विद्यार्थियों के कौशल विकास के लिए कार्य करें। विद्यार्थी, विनिमय कार्यक्रम के संबंध में भी जानकारी ली। उन्होंने निर्देशित किया कि शिक्षकों का रिफ्रेशर कोर्स एवं प्रशिक्षण कराये, जिससे वे अपने विषयों में अपडेट रहें ताकि विद्यार्थी भी अध्ययन के प्रति आकर्षित हो और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हो सके। साथ ही उच्च शिक्षा की गुणवत्ता सुधार के लिए अन्य विश्वविद्यालयों के साथ एम.ओ.यू. करें। लाइवलीहुड के लिए भी विश्वविद्यालय नवाचार करें। राज्यपाल ने कहा कि बैठक में जो निर्णय होते हैं उनका पालन अनिवार्य रूप से करें और अगली बैठक में प्रतिवेदन लेकर आये। उन्होंने हर तीन माह में समीक्षा करने की बात कहीं।

उच्च शिक्षा विभाग के सचिव श्री आर. प्रसन्ना ने कहा कि नई शिक्षा नीति को सही तरीके से लागू करने की जरूरत है। विद्यार्थियों को दिये जाने वाली डिग्री एवं अन्य दस्तावेजों को डिजिटल रूप से भी अपलोड करें। अनुसंधान में नये विषयों में शामिल करें जिससे विकसित भारत, विकसित छत्तीसगढ की कल्पना को साकार किया जा सकें। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने अनुसंधान और नवाचार में निजी विश्वविद्यालयों की मदद् के लिये योजना बनाई है। बैठक में उपस्थित छत्तीसगढ़ विनियामक आयोग के चेयरमेन मिश्रा ने विभिन्न विश्वविद्यालयों के निरिक्षण के दौरान पाई गई कमियों एवं अन्य मुद्दों पर ध्यान आकर्षित कराया। बैठक में विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने प्रेजेंटेशन के माध्यम से राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन एवं विश्वविद्यालयों द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में किये गये नवाचार एवं अन्य बिन्दुओं पर जानकारी दी।

बैठक में ये यूनिवर्सिटीज हुईं शामिल
बैठक में कलिंगा विश्वविद्यालय रायपुर, मैट्स विश्वविद्यालय रायपुर, आई.सी.एफ.ए.आई विश्वविद्यालय दुर्ग, सीवी रमन विश्वविद्यालय बिलासपुर, आई.टी.एम. विश्वविद्यालय रायपुर, ओ.पी. जिदंल विश्वविद्यालय रायगढ़, एमिटी विश्वविद्यालय रायपुर, आई.एस.बी.एम. विश्वविद्यालय गरियाबंद, श्री रावतपुरा सरकार विश्वविद्यालय रायपुर, मर्हिषी विश्वविद्यालय बिलासपुर, ए.ए.एफ.टी. विश्वविद्यालय रायपुर, देव संस्कृति विश्वविद्यालय दुर्ग, केके मोदी विश्वविद्यालय दुर्ग, श्री शंकराचार्य प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी दुर्ग, भारती विश्वविद्यालय दुर्ग, आंजनेय विश्वविद्यालय रायपुर, दावड़ा विश्वविद्यालय रायपुर के कुलपति मौजूद रहे।