बालोद जिला मुख्यालय से 8 किलोमीटर दूर छोटा सा गांव जमरूवा में रहने वाली वीणा साहू अब मिलिट्री अस्पताल में लेफ्टिनेंट के पद पर कार्य कर रही हैं, जहां इस मुकाम को हासिल करने के लिए वीणा ने काफी संघर्ष किया।
बालोद जिले के एक छोटे से गांव जमरूवा की रहने वाली वीणा साहू ने इतनी ऊची छलांग लगाई कि जीवन के बड़े मुकाम को हासिल कर लिया और अब वो मिलिट्री अस्पताल अम्बाला में लेफ्टिनेंट के पद पर कार्य कर रही हैं। देश के जवानों और उनके परिवार वालों को स्वास्थ्य सुविधा दे रही हैं। वीणा की तीन माह की ड्यूटी के बाद छुट्टियों में घर आते ही पूरे गांव ने उसका स्वागत किया।
सीएम विष्णुदेव साय ने कहा, ‘बालोद जिले के ग्राम जमरूवा के किसान परिवार की बेटी वीणा साहू ने भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट नर्सिंग अफसर बनकर समूचे छत्तीसगढ़ को गौरवान्वित किया है। आज फोन पर बिटिया वीणा से बात कर उनकी इस उपलब्धि के लिए बधाई एवं शुभकामनाएं दीं और उत्साहवर्धन किया। बेटियां हमारा स्वाभिमान हैं, छत्तीसगढ़ की शान हैं। वीणा की यह उपलब्धि प्रदेश के असंख्य युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत है।’
बालोद जिला मुख्यालय से 8 किलोमीटर दूर छोटा सा गांव जमरूवा में रहने वाली वीणा साहू अब मिलिट्री अस्पताल में लेफ्टिनेंट के पद पर कार्य कर रही हैं, जहां इस मुकाम को हासिल करने के लिए वीणा ने काफी संघर्ष किया। वीणा पांच बहनें हैं, जिसमें वीणा दूसरे नबर की हैं। वीणा कहती हैं कि लकड़ियों को अपने पैरों पर खड़ा होना चाहिए, जहां उसने सोच लिया था कि वो बड़ा मुकाम हासिल करेगी। वीणा को गर्व है कि वो देश के जवानों और उनके परिवार वालों को स्वास्थ्य सुविधा दे रही हैं।
वीणा का परिवार आज अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर रहा है। वीणा के पिता की मानें तो उनकी पांच लड़कियां हैं, जिसमें वीणा दूसरे नंबर की हैं। उनके पिता का मानना है कि सभी मां-बाप को अपनी बेटियों को खूब पढ़ाना चाहिए। उनकी अन्य बेटियां भी पुलिस, वन रक्षक अन्य भर्तियों की तैयारियां कर रही हैं। गांव में एक छोटे से कपड़े की दुकान और किसानी के भरोसे ही उनका जीवन चलता है। पिता कहते हैं कि संघर्ष तो है, लोग कहते थे कि बेटियों की शादी कर दो। मगर लोगो की बातों को दरकिनार कर आज वो बेटियों को पढ़ा रहे हैं।
वीणा और उनके पिता अन्य लोगों के लिए आज प्रेरणा बन चुके हैं, जो लोग समाज में लड़कियों को आगे बढ़ने नहीं देते ऐसे में एक पिता का ये लक्ष्य की बेटियों को पढ़ाना है, कुछ बनाना है और बेटियां भी पढ़ के आगे बढ़ना चाहती हैं निश्चित ही अन्य लोगों को इससे प्रेरणा लेनी चाहिए।