आधुनिक युग में विकास से कोसों दूर छत्तीसगढ़ का यह गांव: आज तक नहीं बनी सड़क, एक कुएं से बुझती है प्यास, अंधरे में गुजरती है रात,यकीन न हो तो पढ़ें ये पूरी खबर

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आधुनिक युग में भी छत्तीसगढ़ के कई गांव मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। कांकेर जिले के एक गांव में शाम ढलते ही अंधेरा छा जाता है।

आधुनिक युग में भी छत्तीसगढ़ के कई गांव मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। कांकेर जिले के एक गांव में शाम ढलते ही अंधेरा छा जाता है। लोगों साफ पेयजल के लिये तरस रहे हैं। एक कुएं से पूरे गांव की प्यास बुझती है। वह भी भीषण गर्मी साथ छोड़ देता है। ऐसे में झीरिया का पानी ही सहारा बनता है। गांव तक पहुंचने के लिये ग्रामीणों ने श्रमदान से पांच किलोमीटर तक कच्ची सड़क बनाई है पर वह भी बरसात में बह जाती है। बच्चे टॉर्च की रोशनी में जिंदगी संवारने की जद्दोजहद कर रहे हैं। यह पीड़ा है जिले के आमाबेड़ा तहसील के मानकोट के ग्रामीणों का।

डिजिटलाइजेशन के इस दौर में भी यह गांव विकास विकास से कोसों दूर है। गांव में आज तक शुद्ध पेयजल, सड़क और बिजली तक नहीं पहुंच पाई है। ग्रामीणों को दर्द इस बात का है कि सब कुछ जानते हुए जनप्रतिनिधि और शासन-प्रशासन ने अभी तक कोई खबर नहीं ली है। मानकोट गांव के युवक हरेंद्र कुमार कावड़े ने बताया कि हम लोग सड़क, बिजली, पानी के लिए कहां-कहां नहीं गए। कलेक्टर, विधायक, सांसद के पास कई बार आवेदन दिए हैं। गांव तक पहुंचने के लिये ग्रामीणों ने जनसहयोग से पांच किलोमीटर तक सड़क कच्ची सड़क बनाई है। वो हर साल कच्ची सड़क बनाते हैं, लेकिन वह बारिश में बह जाती है। पूरा गांव टापू में तब्दील हो जाता है। पगडंडीनुमा रास्ते में बड़े-बड़े पत्थर हर रोज ग्रामीणों के सब्र का इम्तिहान लेते हैं। बड़ी मुश्किल से दोपहिया वाहन गांव तक पहुंच पाता है। बीमार होने पर मरीज को खाट पर लादकर पांच किलोमीटर दूर मुख्य सड़क तक ले जाना पड़ता है।

पानी की टंकी लगी पर टोटी नसीब नहीं
उन्होंने बताया कि लोग कुएं और झरिया का पानी पीते हैं। कुएं का पानी मटमैला होने के बावजूद जीवन यापन के लिये मजबूरी में पीना पड़ता है। गांव में नल-जल योजना के तहत पानी टंकी और पाइप जरूर लगी थी, लेकिन टोटी अभी तक नहीं लगी है। हम लोग गांव के बोर्ड में पढ़ते हैं कि 80 लाख रुपये की लागत से से यहां नल-जल योजना का टंकी लगाया गया है, लेकिन मात्र 6 घर में पानी आता है, बाकी घरों में पानी नहीं आता। बिजली के लिए भी कई बार आवेदन दिया गया, लेकिन आज तक बिजली नहीं आई। दिन के उजाले में ही बच्चे पढ़ते हैं। शाम होते ही अंधेरा छा जाता है। पहले मिट्टी का तेल मिलता था अब वो भी बंद हो गया।

सिर्फ आश्वासन, काम कुछ भी नहीं’
गांव की सरपंच लक्ष्मी लता पदद्दा का कहना है कि जन समस्या शिविर में कई बार आवेदन दे चुके हैं। अधिकारी सिर्फ आश्वासन देते हैं पर धरातल पर कुछ भी नहीं होता। सात साल पहले शादी करते इस गांव में आई थी, तब से यही हाल है।
नक्सलवाद के नाम पर पिछड़े गांव मानकोट में भ्रष्टाचार के भी आरोप हैं। साल 2020-2021 में नल-जल योजना के तहत 80 लाख खर्च कर पानी टंकी और पाइप लाइन बिछाई गई। साल 2024 के दिसंबर में इसे शुरू किया गया, लेकिन मात्र छह घरों में ही पानी पहुंचा है बाकी बचे 56 घरों में अभी तक पानी नहीं आया है। ठेकेदार को इस कार्य के लिए 80 प्रतिशत भुगतान भी हो चुका है। ग्रामीणों ने बताया कि 80 लाख में तो गांव के 20 घरों में बोरवेल हो जाता।

ग्रामीण दूसरे गांव में जाकर मोबाइल और टॉर्च चार्ज करते हैं या सोलर से किसी प्रकार से चार्ज करते हैं। स्कूली बच्चे सोलर से बैटरी चार्ज कर एलईडी टॉर्च जलाकर पढ़ते हैं।

इनका कहना है
मामले में जिला पंचायत सीईओ हरेश मंडावी ने कहा कि मामला संज्ञान में है। मानकोट मताला पंचायत का आश्रित गांव है। यहां 60 परिवार निवास करते हैं, जहां मूलभूत सुविधाओं की कमी है। मैंने अभी संबंधित अधिकारियों से भी बात की है। जैसे ही आचार संहिता खत्म होगी, काम शुरू होगा।