दुर्ग जिला अस्पताल की बड़ी लापरवाही: दो नवजात शिशुओं की अदला-बदली, DNA टेस्ट से होगा सच्चाई का खुलासा,पूरी सच्चाई के साथ जानें बड़ा अपडेट

0:00

दुर्ग जिला अस्पताल में दो नवजात शिशुओं की अदला-बदली से दो परिवारों में हड़कंप मच गया. डीएनए टेस्ट से असली माता-पिता की पहचान होगी. अस्पताल की लापरवाही पर सवाल उठे हैं।

कल्पना कीजिए कि जिस बच्चे को आपने आठ दिनों से अपनी गोद में पाला, जिससे अटूट ममता का रिश्ता बना लिया, वह अचानक आपका न होकर किसी और का निकले! यह चौंकाने वाली घटना छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिला चिकित्सालय में सामने आई, जहां अस्पताल प्रशासन की लापरवाही के चलते दो नवजात शिशुओं की अदला-बदली हो गई.

अब यह तय करने के लिए कि असली माता-पिता कौन हैं, 12 दिन के मासूम को डीएनए टेस्ट से गुजरना होगा. इस मामले ने न केवल अस्पताल की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि दो परिवारों की भावनाओं को गहरी चोट पहुंचाई है।

कैसे हुआ यह चौंकाने वाला खुलासा?यह पूरा मामला 23 तारीख को शुरू हुआ, जब दुर्ग जिला अस्पताल में दो महिलाओं शबाना कुरैशी और साधना सिंह ने सिजेरियन डिलीवरी के जरिए बेटे को जन्म दिया. शबाना कुरैशी का बेटा सुबह 1:25 बजे पैदा हुआ. साधना सिंह का बेटा 1:34 बजे जन्मा. अस्पताल की प्रोटोकॉल के अनुसार, नवजात की पहचान सुनिश्चित करने के लिए उसकी कलाई पर एक टैग लगाया जाता है. लेकिन इसी प्रक्रिया में अस्पताल प्रशासन ने गंभीर लापरवाही बरती।

8 दिन बाद सामने आई गलतीडिस्चार्ज के 8 दिन बाद, यानी 2 तारीख को, शबाना के परिवारवालों ने बच्चे की कलाई पर लगे टैग को देखा. यह टैग किसी और का नहीं, बल्कि साधना सिंह का था! जैसे ही यह खुलासा हुआ, शबाना के परिवार में हड़कंप मच गया. सवाल उठने लगे कि क्या उनके बच्चे की अदला-बदली कर दी गई है?

परिवार ने तुरंत अस्पताल प्रशासन से संपर्क किया, जिसके बाद मामले की जांच शुरू हुई. जन्म के समय खींची गई तस्वीरों को देखा गया और तस्वीरों ने इस चौंकाने वाली सच्चाई की पुष्टि कर दी शबाना के पास जो बच्चा था, वह असल में साधना का था, और साधना के पास शबाना का बच्चा था।

जब साधना ने किया इनकार: ‘यही मेरा बेटा है!जब शबाना के परिवार ने अस्पताल से अपना असली बच्चा वापस मांगा, तो डॉक्टरों ने साधना सिंह और उनके पति को बुलाया और स्थिति समझाई. लेकिन यहां एक नई समस्या खड़ी हो गई साधना ने इसे मानने से इनकार कर दिया. साधना का कहना था कि जो बच्चा उनके पास है, वही उनका बेटा है. उन्होंने इस पूरे मामले को साजिश बताया और कहा कि वह अपने बच्चे को किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ेंगी. अब मामला पुलिस और प्रशासन के बीच फंस चुका है. शबाना का परिवार अस्पताल और पुलिस के चक्कर लगा रहा है, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकला है।

डीएनए टेस्ट से खुलेगा राज
इस विवाद के चलते अस्पताल प्रशासन ने फैसला किया कि दोनों बच्चों का डीएनए टेस्ट कराया जाएगा, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि उनके असली माता-पिता कौन हैं. लेकिन सवाल यह भी उठता है कि क्या इस बड़ी गलती के लिए अस्पताल प्रशासन पर कोई कार्रवाई होगी?

अस्पताल की लापरवाही से उठे गंभीर सवाल

इस घटना ने अस्पताल प्रशासन की घोर लापरवाही को उजागर कर दिया है. एक मां अपने बच्चे को पहचानने के लिए अस्पताल की तस्वीरों का सहारा ले रही है. दूसरी मां अपने बच्चों छोड़ने को तैयार नहीं है. अब सच्चाई का फैसला डीएनए टेस्ट करेगा. लेकिन यह घटना एक बड़े सवाल को जन्म देती है. अगर अस्पताल प्रशासन ने समय पर सावधानी बरती होती, तो क्या दो परिवारों को इतनी बड़ी मानसिक पीड़ा से गुजरना पड़ता? क्या दोषियों पर कार्रवाई होगी या यह मामला यूं ही दबा दिया जाएगा? अब सबकी निगाहें डीएनए रिपोर्ट और प्रशासन की कार्रवाई पर टिकी हैं।