

दुर्ग जिले का सबसे बड़ा कबाड़ी और कुख्यात अपराधी ललित कबाड़ी के नए ठिकाने पर दुर्ग पुलिस की संयुक्त टीम ने छापा मारा है। इस यार्ड को उसका बेटा प्रेम साहू चला रहा था। पुलिस ने जब हथखोज स्थित उसके नए ठिकाने पर छापा मारा तो वहां चोरी के कई ट्रक काटे जा रहे थे। आपको बता दें कि ललित कबाड़ी ने अपने कबाड़ का गोडाउन पहले गोकुल नगर में बना रखा था। वहां पुलिस ने कई बार रेड की कार्रवाई की। पुलिस को चकमा देने के लिए उसने हथखोज इंडस्ट्रियल एरिया ग्राम जरवाय में एक नया गोडाउन बनाया। इस गोडाउन का संचालन उसका बेटा प्रेम साहू चला रहा था। वहां चोरी के ट्रक और अन्य गाड़ियों को खरीदकर काटने का काम किया जा रहा था।
दुर्ग एसपी जितेंद्र शुक्ला को जैसे ही इसकी जानकारी लगी, उन्होंने एएसपी सिटी सुखनंदन राठौर के नेतृत्व में एक जंबो टीम बनाई। इसमें भिलाई नगर सीएसपी के साथ भिलाई तीन पुलिस, जामुल पुलिस, छावनी पुलिस और खुर्सीपार पुलिस को शामिल किया गया। पुलिस ने गुरुवार शाम को यहां छापा मारा। जब पुलिस ने यहां छापेमारी की तो वहां ललित का बेटा प्रेम साहू ट्रक, टैंकर, हाईवा और बड़े कबाड़ के माल को कटिंग करवा रहा था। इन गाड़ियों के इंजन एवं पार्ट्स को अलग-अलग करवा रखा गया था। उसे वो अलग-अलग कंपनियों को रायपुर भेजने वाला था। इससे पहले की वो इसे वहां भेज पाता दुर्ग पुलिस की टीम ने रेड मार दी।

ललित कबाड़ी के बेटे का यह यार्ड भिलाई 3 थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम जरवाय, उम्दा रोड इंडस्ट्रियल एरिया शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला के जस्ट बगल से बना है। जब पुलिस ने यहां छापा मारा तो कई ट्रक व गाड़ियां कटर रही थीं और एक बड़ा टैंकर काटने के लिए खड़ा किया गया था। इसके साथ ही चार-पांच गाड़ियों के इंजन और पार्ट्स भी काट के रखे हुए हैं जो लोड होकर बाजार में जाने के लिए तैयार थे। ललित कबाड़ी के बेटे का कबाड़ का यह अवैध व्यवसाय इतना बड़ा है, कि वहां उसे लोड करने के लिए उसने बकायदा एक हाइड्रा और जेसीबी भी रखा हुआ था। ये जेसीबी और हाइड्रा हमेशा यार्ड के अंदर ही खड़े रहते थे। इनकी मदद से कबड़ा ट्रक में लोड किया जाता था और फिर बिकने के लिए भेज दिया जाता था।
यह पहली बार नहीं है, जब दुर्ग पुलिस ने ललित या शहर के अन्य कबाड़ियों के यहां छापेमारी की हो। साल 2024 में 9 महीनों के अंदर कम से कम 5वीं बार ललित कबड़ी के यहां पुलिस की रेड पड़ी है। हर बार वहां से कई ट्रक अवैध कबाड़ जब्त कर जामुल थाने में लाया जाता है। कबाड़ी तो कुछ घंटों में मुचलके पर छूट जाता है, लेकिन पुलिस उसके कबाड़ की रखवाली करती है। कुछ दिन बाद कबाड़ी थाने में जब्त कबाड़ का बिल पेश करता है और कोर्ट के आदेश पर वह भी छुड़ा लेता है।

इन दिनों शहर के गली मोहल्लों से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में भी जगह-जगह कबाड़ दुकान संचालित हो रही है। सभी संचालक प्रत्येक सप्ताह सैकड़ों टन लोहे का कबाड़ खरीद रहे हैं। इतनी मात्रा में लोहे कहां से आ रहा है। इसके बारे में किसी को पता नहीं है। दूसरी ओर जैसे-जैसे कबाड़ दुकानों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है, उसी तरह चोरी की घटनाएं भी बढ़ती जा रही हैं। चोर नए-नए क्षेत्र में चोरी की वारदात को अंजाम दे रहे हैं। इन्हें कबाड़ दुकानों में आसानी से खपाया भी जा रहा है।