
अमेरिका से डिपोर्ट युवाओं से मिलकर परिजनों की आंखें छलक गईं। डिपोर्ट युवाओं ने बताया कि उन्हें खाने को थोड़े चिप्स मिलते थे। या फिर चावल या पानी मिल जाता था। डिपोर्ट युवाओं ने बताई दर्दनाक दास्तां।

अमेरिका से डिपोर्ट होकर अमृतसर हवाई अड्डा पहुंचे डिपोर्ट भारतीयों में से 10 होशियारपुर जिले से संबंधित हैं। इनमें से पांच टांडा इलाके से थे। इन लोगों को डीएसपी कार्यालय टांडा लाया गया, जहां से विधायक जसवीर सिंह राजा और डीएसपी दविंदर सिंह बाजवा की मौजूदगी में उन्हें उनके परिजनों को सौंपा गया।

डीएसपी कार्यालय टांडा में उस वक्त माहौल काफी भावुक हो गया जब उक्त पांचों वहां पहुंचे और परिजनों को मिले तो सबकी आंखें छलक पड़ीं। इनमें गांव कुराला के दलजीत सिंह, गांव चौहाना के हरमनप्रीत सिंह, मोहल्ला बारांदरी टांडा के हरप्रीत सिंह, गांव नंगली (जलालपुर) के दविंदर सिंह और गांव मियाणी के मनप्रीत सिंह शामिल हैं।
इस दौरान विधायक जसवीर सिंह ने कहा कि पंजाब सरकार इन नौजवानों के साथ है। उन्हें न्याय जरूर दिलाया जाएगा। उन्होंने कहा कि इन्हें लाखों रुपये ऐंठ कर गलत ढंग से अमेरिका भेजने वाले ट्रैवल एजेंटों के खिलाफ मुख्यमंत्री के निर्देश पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

एजेंटों ने इन लोगों को मौत के मुंह में धकेल दिया। एक एजेंट ने तो कुराला निवासी दलजीत की पांच एकड़ जमीन ही अपने नाम करवा ली जिसकी कीमत करीब एक करोड़ रुपये है।
इन नौजवानों ने बताया कि रास्ते में जो भी खाई में गिर जाता, बीमार व घायल हो जाता तो उसे वहीं मरने के लिए छोड़ दिया जाता। रास्ते में कई जगह उन्होंने शव और कंकाल पड़े देखे। विधायक ने कहा कि इन नौजवानों को घर भेजा जा रहा है। साथ ही उन्होंने कहा है कि पांच दिन में अपना बयान दर्ज कराएं, ताकि पता चल सके कि उन्हें अवैध ढंग से विदेश भेजने वाले ट्रैवल एजेंट कौन हैं।
500 और भारतीय कैंप में बंद है :दलजीत
कुराला निवासी दलजीत ने बताया कि उसे सीधी प्लाइट के नाम पर फांसने के बाद लाखों रुपये और पांच एकड़ जमीन हड़पने के बाद एजेंट ने पनामा के जंगलों से होते हुए डंकी रूप से करीब दो माह पहले उसे मेक्सिको को तिजुआना शहर से सीमा पार कराई गई और सीमा पार करने के बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया तथा वहां से डिटेंशन कैंप ले जाया गया।
उसने बताया कि उनके आने के बाद भी वहां करीब 500 और भारतीय कैंप में बंद हैं, जिन्हें वापस भेजा जाना है। उसने बताया कि खाने के नाम पर थोड़ा चिप्स, मटरी, कभी कभार थोड़ा चावल और पानी ही मिलता था। उन्हें अमेरिका से सैन्य विमान में हाथों में हथकड़ियां, पैरों में बेड़ियां और कमर में जंजीरें बांध कर भेजा गया। दलजीत ने सरकार से अपील की कि उन्हें उनकी जमीन वापस दिलाई जाए।