
भारतीय रेल ने यात्रियों के लिए नया नियम लागू कर दिया है। इसके तहत आरएसी टिकट लेने वालों की सबसे बड़ी परेशानी दूर हो गई है। अब आरएसी टिकट वालों को कोच में विशेष सुविधा दी जाएगी। बता दें कि रेलवे के पुराने नियम से आरएसी वालों को पहले आधी सीट ही मिलती थी लेकिन अब आरएसी टिकट के यात्रियों की समस्या दूर होगी।

ट्रेनों के एसी कोच में आरएसी टिकट के साथ यात्रा करने वाले यात्रियों को रेलवे ने बड़ी सौगात दी है। रेलवे ने रिजर्वेशन अगेंस्ट कैंसिलेशन (आरएसी) टिकट के नियमों में बदलाव कर इसको लागू कर दिया है। रेलवे के नए नियम के अनुसार अब ट्रेनों में आरएसी टिकट के साथ यात्रा करने वाले यात्रियों को एसी कोच में फुल बेडरोल की सुविधा रेल प्रशासन प्रदान करेगी।
नए नियम से पहले तक होती थी ये परेशानी
नए नियम से पहले तक आरएसी टिकट वाले यात्रियों को साइड लोअर बर्थ की आधी सीट पर यात्रा करनी पड़ती थी। किसी दूसरे व्यक्ति के साथ में सीट शेयर करनी होती थी। साथ ही एसी में आरएसी टिकट लेकर यात्रा करने वाले दो यात्री को मिला कर एक ही बेडरोल दिया जाता था।

लेकिन अब यात्रियों को पूरी एक सीट, पूरे बेडरोल सेट के साथ मिलेगी। रेलवे के इस फैसले के बाद उन सभी यात्रियों को मदद मिलेगी, जो कि टिकट के लिए पैसा तो पूरा देते थे। मगर उनको आधी सीट ही मिलती थी। रेलवे के नए नियम के मुताबिक आरएसी यात्रियों को पैकेट बंद बेडरोल मुहैया कराएगा, जिसमें यात्रियों को दो बेडशीट, एक कंबल, एक तकिया और तौलिया शामिल होगा।
रेलवे की लेटलतीफी से यात्री परेशान

दक्षिण पूर्व रेलवे के खड़गपुर एवं चक्रधरपुर रेल मंडल में यात्री ट्रेनों की बदहाल स्थिति एवं लेट लतीफी से दैनिक यात्रियों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। रेल यातायात की चरमराई व्यवस्था से दैनिक यात्री न केवल परेशान है बल्कि व्यवस्था में सुधार को लेकर रेलवे के खिलाफ गोलबंद भी हो रहे हैं।
सुबह की ट्रेन दोपहर, दोपहर की ट्रेन शाम तथा शाम की ट्रेन रात में आने से रोज सफर करने वाले यात्रियों का सारा रूटिन चौपट हो गया है।

इससे उनके रोजगार पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है। कोरोना काल के दौरान बंद की गई कई ट्रेनों को अब तक नहीं चलाए जाने से भी यात्रियों को काफी दिक्कतें हो रही है। एक तो ट्रेन घंटों विलंब से चलती है, उस पर भीड़ इतनी रहती है कि सफर करना मुश्किल हो जाता है।
चक्रधरपुर से टाटानगर तथा टाटानगर से चाकुलिया आने में 1 घंटे की बजाय तीन से चार घंटे लग जा रहे हैं और यह एक दिन की नहीं बल्कि रोजमर्रा की बात है।
आए दिन लोकल ट्रेनों को रद्द करना भी यात्रियों की समस्या पर है। लोग तो अब इसके पीछे रेलवे की ही साजिश बताने लगे हैं। यहां तक कह रहे हैं कि अब भारतीय रेल आम जनता के लिए नहीं रही। सिर्फ माल ढुलाई पर ही रेलवे का ध्यान है। ट्रेनों की बदहाली व लेट लतीफी पर दैनिक यात्रियों के विचार कुछ इस रूप में सामने आए।