

पश्चिम बंगाल के बीरभूम ज़िले के बोगटुई गांव में आठ लोगों को ज़िंदा जला देने के मामले में कोलकाता हाईकोर्ट ने बंगाल पुलिस से रिपोर्ट मांगी है. इस बीच पीड़ित परिवार के कुछ सदस्यों ने अंग्रेज़ी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में हैरान करने वाला दावा किया है. परिवार का कहना है कि महिलाएं और बच्चे एक साथ एक ही कमरे में छिपे हुए थे और हमलावरों ने उन्हें आग के हवाले कर दिया. इंडियन एक्सप्रेस ने इस ख़बर को प्रमुखता से जगह दी है.
ये भी आरोप है कि पीड़ित परिवार के 10 लोगों की सोमवार रात को मौत हुई है, लेकिन पुलिस आठ लोगों की मौत का ही दावा कर रही है. आरोप है कि उन आठ शवों को भी परिवार को नहीं सौंपा गया बल्कि पुलिस ने मंगलवार देर रात शवों को दफ़ना दिया।

पीड़ित परिवार के एक सदस्य मिहिलाल शेख़ ने अख़बार से बातचीत में कहा, ”हमारे परिवार के सदस्य, महिलाएं, बच्चे और दामाद जो हमसे मिलने आए थे, सब एक कमरे में छिप गए थे. लेकिन हमलावरों ने उसमें आग लगा दी और सबके सब मारे गए. हमारा परिवार ख़त्म हो गया, सिर्फ़ राख़ रह गई है.” मिहिलाल शेख़ का दावा है कि उन्होंने इस हमले में परिवार के सात सदस्यों को खो दिया है, जिसमें उनकी मां, पत्नी, बहन, आठ साल की बेटी, भाई की पत्नी, भाई की बेटी और दामाद शामिल हैं।
मिहिलाल का आरोप है कि पुलिस ने मंगलवार देर रात शवों को दफ़ना दिया और इसके लिए अनुमति भी नहीं ली गई. उनका कहना है, ”हम डीएम से संपर्क भी नहीं कर सके, पुलिस को शवों को हमें सौंप देना चाहिए था. इसके बजाए हमें पता चला कि शवों को गांव में दफ़ना दिया गया. ये हमें मंज़ूर नहीं है.”