तीन महीने बाद देश को मिलेगा नया राष्ट्रपति, जानें उम्मीदवारी से लेकर वोटों की गिनती तक की पूरी प्रक्रिया

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राष्ट्रपति का चुनाव में लोकसभा, राज्यसभा के सभी सांसद और सभी राज्यों के विधायक वोट डालते हैं। इन सभी के वोट की अहमियत यानी वैल्यू अलग-अलग होती है। यहां तक कि अलग-अलग राज्य के विधायक के वोट की वैल्यू भी अलग होती है। एक सांसद के वोट की कीमत 708 होती है। वहीं, विधायकों के वोट की वैल्यू उस राज्य की आबादी और सीटों की संख्या पर निर्भर होती है।

आने वाली 25 जुलाई को देश को नए राष्ट्रपति मिल जाएंगे। मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 25 जुलाई को पूरा हो रहा है। नए राष्ट्रपति के चुनाव को लेकर सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई है। सत्तापक्ष और विपक्ष के सांसदों और विधायकों के आंकड़ों पर नजर डालें तो ये मुकाबला काफी कड़ा होता दिख रहा है।

आइये समझें राष्ट्रपति चुनाव का पूरा गणित…

पहले जान लीजिए राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है?

राष्ट्रपति का चुनाव में लोकसभा, राज्यसभा के सभी सांसद और सभी राज्यों के विधायक वोट डालते हैं। इन सभी के वोट की अहमियत यानी वैल्यू अलग-अलग होती है। यहां तक कि अलग-अलग राज्य के विधायक के वोट की वैल्यू भी अलग होती है। एक सांसद के वोट की कीमत 708 होती है। वहीं, विधायकों के वोट की वैल्यू उस राज्य की आबादी और सीटों की संख्या पर निर्भर होती है।

कौन लड़ सकता है राष्ट्रपति चुनाव?
चुनाव लड़ने वाला भारत का नागरिक होना चाहिए। उसकी उम्र 35 वर्ष से अधिक होनी चाहिए। चुनाव लड़ने वाले में लोकसभा का सदस्य होने की पात्रता होनी चाहिए। इलेक्टोरल कॉलेज के पचास प्रस्तावक और पचास समर्थन करने वाले होने चाहिए।

वोटर्स कितने होंगे?

राष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा, राज्यसभा और राज्यों के विधानसभा के सदस्य वोट डालते हैं। 245 सदस्यों वाली राज्यसभा में अभी 230 सांसद हैं। आने वाले दो महीनों में खाली सीटों पर चुनाव होने हैं। राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत 12 राज्यसभा सांसद राष्ट्रपति चुनाव में वोट नहीं डालते हैं। वहीं, 543 सदस्यों वाली लोकसभा में अभी 540 सांसद हैं। तीन सीटें खाली हैं।

राज्यवार विधायकों के वोट की कितनी अहमियत होती है?
देश की सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश के एक विधायक के वोट की वैल्यू सबसे ज्यादा 208 होती है। वहीं, इसके बाद झारखंड और तमिलनाडु के एक विधायक के वोट की वैल्यू 176 तो महाराष्ट्र के एक विधायक के वोट की वैल्यू 175 होती है।

बिहार के एक विधायक के वोट की वैल्यू 173 होती है। सबसे कम वैल्यू सिक्किम के विधायकों की होती है। यहां के एक विधायक के वोट की वैल्यू सात होती है। इसके बाद नंबर अरुणाचल और मिजोरम के विधायकों का आता है। यहां के एक विधायक के वोट की वैल्यू आठ होती है।

राज्यसभा के 245 में से 233 सांसद राष्ट्रपति चुनाव में वोट डालते हैं। लोकसभा में 543 सांसद वोट डालते हैं। अभी लोकसभा में तीन सीटें रिक्त हैं, जबकि राज्यसभा में 15 सीटें रिक्त हैं। आने वाले दिनों में कुछ और भी सीटें खाली होंगी और राष्ट्रपति चुनाव से पहले राज्यसभा सदस्यों के लिए चुनाव होंगे। ऐसे में ये संख्या बढ़ेगी।

राज्यसभा और लोकसभा सदस्यों के एक वोट की कीमत 708 होती है। दोनों सदनों में सदस्यों की संख्या 776 है। इस लिहाज से सांसदों के सभी वोटों की वैल्यू 5,49,408 होती है। अब अगर विधानसभा सदस्यों और सांसदों के वोटों की कुल वैल्यू देखें तो यह 10 लाख 98 हजार 903 हो जाती है। मतलब राष्ट्रपति चुनाव में इतने वैल्यू वाले वोट पड़ेंगे।

एक वोट की कीमत अलग-अलग क्यों होती है?
हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश की जनसंख्या अलग-अलग है। इस चुनाव में हर एक वोट की कीमत राज्य की जनसंख्या और वहां की कुल विधानसभा सीटों के हिसाब से तय होती है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि हर वोट सही मायने में जनता की नुमाइंदगी करे।
वोटों की ये वैल्यू मौजूदा या आखिरी जनगणना की जनसख्या के आधार पर तय नहीं होती है। इसके लिए 1971 की जनसंख्या को आधार बनाया गया है। राष्ट्रपति चुनाव में जनगणना का आधार 2026 के बाद होने वाली जनगणना के बाद बदलेगा। यानी, 2031 की जनगणना के आंकड़े प्रकाशित होने के बाद 1971 की जगह 2031 की जनगणना के आधार पर सांसदों और विधायकों के वोट की वैल्यू तय होगी।
अब बाद विधायक और सांसद के वोट का मूल्य की। दोनों के मूल्य तय करने का तरीका अलग-अलग है। विधायक के वोट का मूल्य एक साधारण सूत्र से तय होता है। सबस पहले उस राज्य की 1971 की जनगणना के मुताबिक जनसंख्या को लेते हैं। इसके बाद उस राज्य के विधायकों की संख्या को सौ से गुणा करते हैं। गुणा करने पर जो संख्या मिलती है उससे कुल जनसख्या को भाग दे देते हैं। इसका नतीजा जो आता है वही उस राज्य के एक विधायक के वोट का मूल्य होता है।
इसे एक उदाहण से समझ सकते हैं। जैसे 1971 में उत्तर प्रदेश की कुल आबादी 8,38,49,905 थी। राज्य में कुल 403 विधानसभा सीटें हैं। कुल सीटों को 1000 से गुणा करने पर हमें 403000 मिलता है। अब हम 8,38,49,905 को 403000 से भाग देते हैं तो हमें 208.06 जवाब मिलता है। वोट दशमलव में नहीं हो सकता इस तरह उत्तर प्रदेश के एक विधायक के वोट का मूल्य 208 होता है।

अब बात सांसदों के वोट की कीमत की करते हैं। सांसदों के वोट की कीमत निकालने के लिए सभी विधायकों के वोट की कीमत को जोड़ लिया जाता है। जोड़ने पर जो संख्या आती है उसे राज्यसभा और लोकसभा के कुल सांसदों की संख्या से भाग दे देते हैं। वही, एक सांसद के वोट की कीमत होती है। जैसे उत्तर प्रदेश के कुल 403 विधायकों के वोट की कुल कीमत 208*403 यानी 83,824 है।
इसी तरह देशभर के सभी विधायकों के वोट की कीमत का जोड़ 549,495 है। राज्यसभा के 233 और लोकसभा के 543 सासंदों का जोड़ 776 है। अब 549495 को 776 से भाग देने पर हमें 708.11 मिलता है। इस पूर्णांक में 708 लिया जाता है। इस तरह एक सांसद के वोट का मूल्य 708 होता है। विधायकों और सांसदों के कुल वोट को मिलाकर ‘इलेक्टोरल कॉलेज’कहा जाता है। यह संख्या 10,98,903 होती है।

क्या पार्टियां इस चुनाव के लिए भी व्हिप जारी करती हैं?

व्हिप एक तरह आदेश होता है तो पार्टियां अपने सांसदों और विधायकों को जारी करती हैं। व्हिप का उल्लंघन करने पर संबंधित सांसद या विधायक की सदस्यता भी चली जाती है। हालांकि, राष्ट्रपति चुनाव में पार्टियां व्हिप जारी नहीं कर सकती हैं। सांसद और विधायक इस चुनाव में वरीयता के आधार पर वोट करते हैं। यानी, जो आपका पसंद का उम्मीदवार है उसे पहली वरीयता देनी होती है। यानी, उसके नाम के आगे एक लिखना होता है। दूसरी पसंद वाले उम्मीदवार के नाम के आगे दो नंबर लिखना होता है। सबसे पहले पहली वरीयता वाले वोट गिने जाते हैं। अगर पहली वरीयता में उम्मीदवार को पचास फीसदी से ज्यादा मूल्य के वोट नहीं मिलते तो दूसरी वरीयता के वोटों की गनती होती है।