
दे मन में कुछ करने की इच्छा हो और आपस में समन्वय हो जाए तो बड़े से बड़ा मुकाम हामिल किया जा सकता है। शहर के सीन युवकों ने अपनी दोसती और अटूट विश्वास के बदौलत आज एक ऐसा मुकाम डासिल कर लिया है जो किसी के लिए भी हर हो सकता है। आज के समय में वहां पाई-भाई को नहीं बनती रिस्तेदार आपस में वैमनस्य रखते हैं ऐसे दौर में दुर्ग शहर निवासी आशीष अग्रवाल, मनीष जैन और संजय अग्रवाल ने दोस्ती को एक ऐसी मिस्खल स्तुत की है जिसने उन्हें व्यवसायिक जगत में प्रसिद्धि के साथ ही अर्थिक दृष्टि से सक्षम बनाने में महत्वपूर्ण मार्ग प्रशस्त किया है।

तीनों मित्र शहर के एक ही हिसो में निवास करते थे और उनको आसा में दोस्ती थी। 1993 से 95 के बीच मनीष जैन एमएससी इन प्लांट पैथोलॉजी कॉलेज दुर्ग, संजय अग्रवाल रुद्र यांॉलिटेक्निकल से सिविल इंजीनियरिंग তথ্য আম জয়নাল ड़ा पॉलिटेक्निक कॉलेज से इलेक्ट्रिकल की पढ़ाई पूरी की। 1995 में करियर ट्यूशन की स्थापना इन्नोंने को। बनिया पारा में एक कमरा किराया लेकर यह केंद्र शुरू हुआ। मनीष जैन केमिस्ट्री, संजय अग्रवाल गणित और आशीष अग्रवाल फिजिक्स पढ़ाते थे। वीं से 12वीं तक के बच्चों को इन्होंने यूहन देस शुरू कर किया।

पहले साल 12 बड़े से केंद्र की शुरुआत हुई और दूसरे वर्ष हेद सी बच्चे हो गए। उसके बाद शहर में चार और बांच इन्होंने खोल दिए जो महावीर नगर, दीपक नगर, अंनपारा में संचालित था। उस समय मनीष जैन मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव, संजय
दुर्व में सुपरवाइजर और आशीष अग्रवाल आईटीआई में टीचर थे। जॉब के बाद से समय मिलता था उससे तीनों ट्यूशन पढ़ाने का कार्य करते थे। 1997 में इन्होंने कैरियर आईटीआई की स्थापनाको को पंचशील नगर में तीन ट्रेड इलेक्ट्रीशियन, फीटर, मेसन संचालित था कि बस में रिटायरमेंट एज बढ़ाने के कारण आईटीआई नहीं चल पाया और उसे बंद करना पड़ा। 1999 में मालवीय नगर में पैरा मेडिकल ट्रेनिंग कोर्स चालू किया, जिसको अच्छा रिस्पांस मिला और
2001 में मोहन नगर के सारषा भवन में ट्रेनिंग सेंटर में डॉ. बीएस भाटिया से मुलाकात हुई। तब डॉ. बीएस टेमा के भी नर्सिंग होम में भाटिया छत्तीसगढ़ शासन से मान्यता प्रष्ट राज्य कर पहला पैरामेडिकल कोर्स प्रारंभ हुआ और 2002 में फिजियोथेरेपी कॉलेज राज्य का पहला अपीली कॉलेज की स्थापना की गई। पहले साल 22 प्रवेश हुए। दूसरी और

तीन दोस्तों की कहानी जिन्होंने बनाया बड़ा शैक्षिक संस्थान
उधारी लेकर किराए के कमरे में शुरू हुआ कोचिंग सेंटर
कैरियर कोचिंग सेंटर की स्थापना इन्होंने ३ बाई 10 के एक कमरे को किराए में लेकर जिसका 350 रपया किसी अन्य से उधारी लेकर एडवांस के रूप में देहर हुरू किया। कानों के बैठने के लिए यात वेव की व्यथा भी किसी ने किसी से मांग कर की दें। अपने सेंटर का प्रमोशनतीनों मिलकर स्वयं करते थे। पायलेट बांटने में लेकर शहर में पम्पलेट चिपकाने पोस्टर लगाने का काम तीनों ही करते थे। सायद उस समय इन लोगों ने नहीं सोचा होगा कि आगे जाकर तीनों की दोस्ती अपोलो कॉलिन ऑफ इंस्टीट्यूशन के रूप में सात जर्जित करने लगेगा। आज भी लीनों के जाम बरे हुए है और अपने हिस्से के काम को पूरी ईमानदारी और निष्ठा से करते नजर आते है। जब अपीली कॉलेज की स्थापना अंजी में हुई तो एका बहना में बेडकार तीनों कॉलेज के प्रिसिपल कार में आये।
कोचिंग का कार्य भी जारी रहा, जिसे 2005 में चंद किया गया और 2005 में ही दुर्ग पलिटेक्निक के सामने फिजियोथेरेपी कॉलेज की स्थापना हुई। इसी समय लोन लेकर अंजोरा में भवन हेतु दो एकड़ जमीन खरीदा गया जिसका ईएमआई ज्यादा होने के कारण अनेक नए कोर्स प्रारंभ किए गए। 2007 में एम.एड, 2008 में बीएससी नर्सिग, 2009 में बी फार्मा, 2011 में एमाएससी नर्सिंग, पोस्ट बेसिक नर्सिंग, एमएससी नसिंग और 2012 में मास्टर डिग्री ऑफ फिजियोथेरेपी प्रारंभकिया गया। इसके अलावा 2012 में चिरमिरी में के.बी. पटेल
नर्सिंग कॉलेज की स्थापना की गई। 2013 में सरायपाली में प्रतिभा कॉलेज ऑफ एजुकेशन, 2015-16 में खालसा कॉलेज में बीएड पाठ्यक्रम की शुरुआत, 2021 में राजनांदगांव में कॉन्स्यूएन कॉलेज में बीएड एवं नर्सिंग पाठ्यक्रम शुरू किया गया। वर्तमान में बी.एड के चार कॉलेज, नर्सिंग के तीन, फार्मेसी के एक और फिजियोथेरेपी के एक कॉलेज का संचालन तीनों मिलकर कर रहे हैं। अगोली कॉलेज अंजीरा में गल्स हॉस्टल 300 सीटर और बॉयज हॉस्टल 50 सीटर है और पूरा परिसर 7 एकड़ में संचालित है। टीमवर्क का मूल मंत्र लेकर बिना किसी पद लोभ के इन्होंने आपसी सामंजस्य से यह मुकाम हासिल किया है।
सफलता की यात्रा
तीनों दोस्तों ने अपने कोचिंग संस्थान को सफलतापूर्वक चलाने के बाद, आपने शैक्षिक संस्थान का विस्तार करने का फैसला किया। उन्होंने नए कोर्स शुरू किए, नए शिक्षकों को नियुक्त किया और अपने संस्थान की इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार किया। उनकी मेहनत और समर्पण के कारण, उनका संस्थान आज एक बड़े शैक्षिक संस्थान में बदल गया है।
दोस्ती की मिसाल
तीनों दोस्तों ने कई चुनौतियों का सामना किया, लेकिन उन्होंने कभी भी एक दूसरे के साथ विवाद नहीं किया। उन्होंने हमेशा एक दूसरे का समर्थन किया और अपने सपनों को पूरा करने के लिए एक साथ काम किया। उनकी दोस्ती एक मिसाल है कि कैसे तीन लोग एक साथ मिलकर अपने सपनों को पूरा कर सकते हैं और एक सफल करियर बना सकते हैं।