नई दिल्ली: पहली बार ऐसा जीव मिला है, जिसके 1306 पैर हैं. यह जमीन के अंदर गहराई में रहता है और दुनिया का पहला मिलिपीड्स (Millipedes) है, जो अपने नाम के मायने को सही तरीके से पूरा करता है. यानी अब तक अधिकतम 750 पैरों वाला जीव खोजा गया था, लेकिन इस नए जीव की खोज के साथ ही पुरानी वाली डिस्कवरी दूसरे स्थान पर आ गई है. आइए जानते हैं इस हजारों पैरों वाले जीव के बारे में… वर्जिनिया टेक यूनिवर्सिटी के एंटोमोलॉजिस्ट पॉल मारेक कहते हैं कि हमेशा से मिलिपीड शब्द के साथ एक विडंबना रही है कि ये नाम तो हजारों पैरों को परिभाषित करता है. लेकिन आजतक हजारों पैरों वाला मिलिपीड नहीं मिला था. अब जाकर नया मिलिपीड मिला है. इससे पहले 100 पैरों वाले मिलिपीड ज्यादा मिलते थे. जिन्हें सेंटीपीड (Centipede) कहते थे. अब तक सबसे ज्यादा 750 पैरों का रिकॉर्ड इलाक्मे प्लेनिप्स (Illacme Plenipes) के नाम था. यह भी जमीन की गहराई में रहने वाला जीव है
अभी मिलिपीड्स की जो नई प्रजाति मिली है, उसका नाम है यूमिलिप्स पर्सेफोन (Eumilipes Persephone). इसका नाम ग्रीक भगवान ज्यूस (Zeus) की बेटी पर्सेफोन के नाम पर रखा गया है. पर्सेफोन को पाताल के देवता हेडेस (Hades) ने अगवा कर लिया था. पॉल कहते हैं कि यूमिलिप्स पर्सेफोन दुनिया में सबसे ज्यादा पैरों वाला जीव बन चुका है. इनके अधिकतम 1306 पैर होते हैं. सबसे ज्यादा पैरों का रिकॉर्ड बनाने वाले यूमिलिप्स पर्सेफोन का रंग हल्का पीला है. इसकी आंखें नहीं हैं. यह लंबे धागे जैसा है. यह अपने शरीर की चौड़ाई का 100 गुना ज्यादा लंबा है. इसके आइसक्रीम कोन जैसे सिर पर बहुत ढेर सारे एंटीना है, जो इसे अंधेरे में चलने-फिरने में मदद करते हैं. यह फंगस खाता है.
पॉल बताते हैं कि इसके पैर गिनना आसान नहीं था, क्योंकि यह जीव खुद गोलाकर चक्करघिन्नी की तरह लपेट लेता है. ज्यादा पैरों से ही इस जीव की उम्र का भी अंदाजा लगाया जा सकता है. पॉल कहते हैं कि मुझे शक है कि यह जीव ज्यादा दिन जिंदा रहता होगा. क्योंकि मिलिपीड्स धीरे-धीरे विकसित होते हैं. इनके शरीर के अलग-अलग हिस्से एक के बाद एक करके काफी समय पर जुड़ते रहते हैं. पॉल मारेक बताते हैं कि उनके जैसे एंटोमोलॉजिस्ट ऐसे मिलिपीड्स के तीन रिंग्स और उनके आपसी शारीरिक जुड़ाव को देख कर अंदाजा लगाते हैं कि एक प्रजाति दूसरे से कैसे अलग है. पॉल और उनकी टीम ने यूमिलिप्स पर्सेफोन के दो नर और दो मादा की जांच की. इन सबकी लंबाई और उम्र अलग-अलग थी. सबसे छोटे वाले के शरीर में 198 रिंग्स और 778 पैर थे. जबकि, सबसे लंबे वाले के 330 रिंग्स और 1306 पैर थे.
आमतौर पर मिलिपीड्स 2 साल तक ही जिंदा रहते हैं, लेकिन यूमिलिप्स पर्सेफोन के शरीर में मौजूद रिंग्स को देखकर लगता है कि ये 5 से 10 साल जीवित रहता होगा. ये जीव किसी भी हाल में आपके सतह पर नहीं दिखाई देंगे. क्योंकि ये सतह से 200 फीट नीचे रहते हैं. ये जिस जगह पर रहते हैं, वहां पर लौह अयस्कों और ज्वालामुखीय पत्थरों की परत शुरु हो जाती है. यूमिलिप्स पर्सेफोन (Eumilipes Persephone) को सबसे पहले पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के गोल्डफील्ड्स में देखा गया था. यहां पर खनिज निकल और कोबाल्ट खनन का कार्य होता है. इसके लिए खनन कंपनियां 65 से 328 फीट गहरी बोरिंग करती हैं, अगर इन बोर होल्स में खनन कर्मियों को कुछ नहीं मिलता तो वो उसे ऐसे ही छोड़ देते हैं. कुछ समय पहले एंटोमोलॉजिस्ट को आइडिया आया कि क्यों न इन बोर होल्स की जांच की जाए.
जब इन बोर होल्स की जांच की गई तो 1306 पैरों वाले यूमिलिप्स पर्सेफोन (Eumilipes Persephone) की जानकारी मिली. सिर्फ यही नहीं इन बोर होल्स में कई अन्य प्रकार के जीवों के मिलने की भी उम्मीद है. यहां अलग ही प्रकार के जीवन का चक्र चल रहा है. वैज्ञानिक इस बात से हैरान थे कि उनके पैरों के नीचे दुनिया का सबसे ज्यादा पैरों वाला जीव रहता है. पॉल मारेक कहते हैं कि अभी तो सिर्फ 1306 पैरों वाला मिलिपीड मिला है. अभी और खोज चल रही है, न जाने क्या-क्या और देखने को मिलेगा. इतना ही नहीं, यूमिलिप्स पर्सेफोन (Eumilipes Persephone) मिट्टी की उवर्रकता को बनाए रखने में भी मदद करते हैं.