बलौदा बाजार हिंसा मामले में बड़ा अपडेट: 15 से ज्यादा लोगों को हाईकोर्ट से मिली जमानत, 187 लोग हुए थे गिरफ्तार,क्या अन्य आरोपी भी पाएंगे राहत?

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छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार में हुई हिंसा के मामले में 15 से ज्यादा आरोपियों को हाई कोर्ट से जमानत मिली है. यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के आधार पर लिया गया है।

छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार में हुई हिंसा के मामले में बड़ा फैसला आया है. हाई कोर्ट ने इस मामले में 15 से ज्यादा लोगों को जमानत दे दी है. यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के आधार पर लिया गया है, जिसमें एक आरोपी को जमानत दी गई थी.

पिछले साल 10 जून को बलौदा बाजार में संयुक्त जिला कार्यालय में तोड़फोड़ और एसपी कार्यालय को जलाए जाने की घटना हुई थी. इस घटना में 12.53 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था. इसके बाद पुलिस ने 187 लोगों को गिरफ्तार किया था।

निचली अदालत में खारिज हो गई थी जमानत याचिका
गिरफ्तारी के बाद, आरोपियों ने निचली अदालत में जमानत की अर्जी लगाई थी, लेकिन उनकी अर्जी खारिज कर दी गई थी. इसके बाद उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी.

इस आधार पर मिली बेल
हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश और न्याय दृष्टांत के आधार पर 15 से ज्यादा लोगों को जमानत दे दी है. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता हर्षवर्धन परगनिया ने जमानत मंजूर होने की पुष्टि की है।

क्या है पूरा घटनाक्रम ?

10 जून 2024 को बलौदा बाजार में स्थित संयुक्त जिला कार्यालय में तोड़फोड़ की घटना हुई थी. इसके साथ ही एसपी कार्यालय में भी आगजनी की गई थी. इस हिंसक घटना के दौरान सरकारी संपत्तियों को भारी नुकसान हुआ था. अधिकारियों के मुताबिक इस हिंसा और तोड़फोड़ के कारण लगभग 12.53 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था।

हाईकोर्ट के अधिवक्ता हर्षवर्धन परगनिया ने की पुष्टि
जमानत मिलने के बाद, याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता हर्षवर्धन परगनिया ने इस फैसले की पुष्टि की. हर्षवर्धन के मुताबिक न्यायालय ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश और न्याय दृष्टांत को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया है. उन्होंने कहा कि इस फैसले से यह सिद्ध हो गया है कि उच्च न्यायालय जमानत के मामलों में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन करते हुए त्वरित राहत प्रदान कर सकता है।

जमानत का ऐतिहासिक फैसला, क्या अन्य आरोपी भी पाएंगे राहत?

जमानत के फैसले के बाद, बलौदाबाजार हिंसा मामले के बाकी आरोपियों के लिए यह एक संकेत हो सकता है कि यदि उनके मामलों में सुप्रीम कोर्ट से कोई नया आदेश आता है, तो वे भी राहत प्राप्त कर सकते हैं. हालांकि, मामले में अन्य कानूनी प्रक्रिया और जांच भी जारी है, जो भविष्य में इस प्रकार के फैसलों पर असर डाल सकती है. इस फैसले से ये भी स्पष्ट होता है कि उच्च न्यायालय न्यायिक निष्पक्षता के आधार पर जमानत के मामलों में त्वरित और उचित फैसले कर सकता है।