सेंट थॉमस कॉलेज, भिलाई में सूक्ष्म जीव विज्ञान और जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा “प्रोबायोटिक खाद्य पदार्थ और पोषण” पर अतिथि व्याख्यान का आयोजन


सेंट थॉमस कॉलेज, भिलाई के स्नातकोत्तर सूक्ष्म जीव विज्ञान और जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने 8 सितंबर, 2025 को “प्रोबायोटिक खाद्य पदार्थ और पोषण” विषय पर एक अत्यंत ज्ञानवर्धक अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया। इसमें मुख्य वक्ता के रूप में पंडित जवाहरलाल नेहरू अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र, सेक्टर-9, भिलाई की प्रमुख आहार विशेषज्ञ और पोषणविद् डॉ. परोमिता दासगुप्ता, एक प्रख्यात पोषण विशेषज्ञ ने भाग लिया। इस सत्र में विभिन्न विभागों के छात्रों और संकाय सदस्यों ने भाग लिया, जो दैनिक जीवन में प्रोबायोटिक भोजन और पोषण के महत्व के बारे में व्यावहारिक जानकारी प्राप्त करने के लिए उत्सुक थे।


आहार विज्ञान और किशोर स्वास्थ्य के क्षेत्र में अपने व्यापक कार्य के लिए जानी जाने वाली डॉ. दासगुप्ता ने अपना व्याख्यान किशोरों की पोषण संबंधी आवश्यकताओं और फास्ट फूड के सेवन से होने वाले बढ़ते स्वास्थ्य जोखिमों पर केंद्रित किया। व्याख्यान प्रोबायोटिक खाद्य पदार्थों और आंत के स्वास्थ्य और समग्र कल्याण को बनाए रखने में उनकी भूमिका के लिए समर्पित था। डॉ. परोमिता ने जटिल अवधारणाओं को आसानी से समझ में आने वाले बिंदुओं में तोड़ दिया, जिससे सत्र जानकारीपूर्ण और आकर्षक दोनों बन गया। उन्होंने आहार और पोषण के बारे में आम मिथकों और भ्रांतियों को भी दूर किया, छात्रों को रुझानों या गलत सूचनाओं का पालन करने के बजाय वैज्ञानिक समझ के साथ भोजन के चुनाव करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने छात्रों को छाछ जैसे प्रोबायोटिक खाद्य पदार्थों के उत्कृष्ट और अतुलनीय गुणों से अवगत कराया।
यह कार्यक्रम छात्रों को कोल्ड ड्रिंक्स छोड़ने और छाछ अभियान के हिस्से के रूप में एक स्वस्थ और पौष्टिक पेय-छाछ को अपनाने के लिए जागरूक करने की दिशा में एक कदम था। कार्यक्रम का संचालन सूक्ष्म जीव विज्ञान और जैव प्रौद्योगिकी विभाग की संकाय सदस्य सुश्री आकांक्षा सिंह ने किया।
अंत में सत्र ने छात्रों को अपने संदेहों को दूर करने का मौका दिया, जिससे व्याख्यान सहभागितापूर्ण और ज्ञानवर्धक बन गया। इस कार्यक्रम की सराहना प्राचार्या डॉ. शाइनी मेंडोंस ने की, जिन्होंने अपने संबोधन में छात्रों को स्वस्थ भोजन की आदतों का पालन करने पर जोर दिया, क्योंकि आजकल जीवनशैली से जुड़ी बीमारियाँ बहुत आम हो गई हैं। कार्यक्रम में डीन (अकादमिक) डॉ. देबजानी मुखर्जी भी उपस्थित रहीं। कार्यक्रम को प्रशासक, फादर (डॉ.) पी एस वर्गीस ने समर्थन और प्रोत्साहन दिया।