दुर्ग के कांग्रेस भवन में हारे हुए प्रत्याशियों का हंगामा, कहा- बड़े नेता शर्म करो, चुल्लू भर पानी में डूब मरो,शीर्ष नेताओं के खिलाफ नारेबाजी

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दुर्ग नगर निगम में कांग्रेस की करारी हार के बाद कार्यकर्ताओं का गुस्सा फूटा.कार्यकर्ताओं ने शीर्ष नेताओं को हार के लिए जिम्मेदार ठहराया।

दुर्ग नगर निगम में भाजपा की मेयर और ज्यादातर पार्षदों की जीत हुई है। हार के बाद कांग्रेस भवन में बैठक बुलाई गई। जिसमें हारे प्रत्याशियों ने जमकर हंगामा किया। उन्होंने ‘बड़े नेता शर्म करो, चुल्लू भर पानी में डूब मरो’ लिखा पोस्टर लहराया। दरअसल, कांग्रेस ने मेयर प्रत्याशी के लिए प्रेमलता साहू को मैदान में उतारा था। लेकिन प्रेमलता साहू को मात्र 40 हजार वोट ही मिले। उनकी प्रतिद्वंद्वी बीजेपी उम्मीदवार अलका बाघमार ने उन्हें 68 हजार वोटों से हराया। वहीं, 60 वार्डों केवल 12 कांग्रेस पार्षद ही जीत सके। यह हार कांग्रेस के लिए एक बड़ी हार बताई जा रही है, क्योंकि दुर्ग कांग्रेस का पारंपरिक गढ़ माना जाता है। इसके अलावा 60 वार्डों में से कांग्रेस को केवल 12 वार्डों में जीत और भी चौंकाने वाला है। इस हार के बाद कांग्रेस पार्टी के अंदर असंतोष और नाराजगी खुलकर सामने आ गई है।

चुनाव में इस करारी हार के बाद कांग्रेस कार्यकर्ता उग्र हो गए हैं। वे कांग्रेस भवन बड़ी संख्या में पहुंचे और वहां 15-20 मिनट तक जमकर नारेबाजी कर हंगामा किया। कार्यकर्ताओं का आरोप था कि, बड़े नेताओं ने कमजोर प्रत्याशियों को टिकट दिया। साथ ही चुनाव में उनका साथ भी नहीं दिया। इससे पार्टी का प्रदर्शन बेहद खराब रहा। विरोध के दौरान कई कार्यकर्ताओं ने पोस्टर लहराकर अपनी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की कड़ी आलोचना की। पोस्टर में साफ लिखा था कि “बड़े नेता शर्म करो, चुल्लू भर पानी में डूब मरो”। कार्यकर्ताओं का आरोप है कि संगठन ने चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों को समर्थन नहीं दिया।

उन्हें चुनावी मैदान में अकेला छोड़ दिया। इस कारण पार्टी को इतनी करारी हार झेलनी पड़ी। इस दौरान कांग्रेस प्रवक्ता एसके प्रसाद ने भी संगठन पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि यह हार पार्टी के लिए एक बड़ा झटका है। अब नेताओं को हटाकर युवाओं को आगे बढ़ाने की जरूरत है। वरिष्ठ नेताओं की गुटबाजी और कमजोर रणनीति के कारण दुर्ग नगर निगम में कांग्रेस की स्थिति इतनी खराब हो गई है। उनका यह भी कहना है कि, संगठन को आत्ममंथन करना चाहिए और सही उम्मीदवारों को टिकट देना चाहिए। जिससे भविष्य में ऐसी हार से बचा जा सके। उन्होंने कहा कि, कांग्रेस में वरिष्ठ नेताओं के बीच मतभेद होने से पार्टी कमजोर हुई है। वहीं, स्थानीय स्तर पर मजबूत प्रत्याशियों को नजरअंदाज कर दिया गया है। इससे जनता में असंतोष बढ़ा है।

कार्यकर्ताओं की माने तो कांग्रेस में वरिष्ठ नेताओं के बीच मतभेद होने से पार्टी कमजोर हुई.वहीं स्थानीय स्तर पर मजबूत प्रत्याशियों को नजरअंदाज कर दिया गया,जिससे जनता में असंतोष बढ़ा हैं.जिसका नतीजा ये हुआ कि पार्टी विधानसभा,लोकसभा के बाद नगरीय निकाय में बुरी तरह से चुनाव हार गई।