नई दिल्ली . दक्षिण अफ्रीका में मिला कोविड-19 को नया वेरिएंट ओमिक्रॉन दुनिया भर के शेयर बाजारों के साथ-साथ अब क्रिप्टो बाजार पर भी हावी हो चुका है। निवेशकों में इसको लेकर डर की भावना का आलम ये है कि दुनिया की सबसे लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी बिटक्वाइन का दाम आज 40 हजार के स्तर तक आ गया। सिर्फ बिटक्वाइन ही नहीं बल्कि इथेरियम, पोल्काडॉट और डॉजक्वाइन सेत ज्यादातर डिजिटल मुद्राओं की कीमतों में गिरावट आई है। इसने निवेशकों को जबरदस्त नुकसान पहुंचाया है।
बिटक्वाइन की कीमत 40 हजार के स्तर पर
कोरोना वायरस का नया वेरिएंट सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में मिला, डब्ल्यूएचओ ने इसे पूराने स्वरूप से 30 गुना ज्यादा खतरनाक बताया है। हाल ये है कि इसने अब वो पूरे ग्लोबल मार्केट को अपनी चपेट में ले रहा है। हर बाजार इससे सहमा हुआ है। यहां तक कि क्रिप्टो बाजार भी इससे अछूता नहीं है। आंकड़े को देखें तो दुनिया की सबसे लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी बिटक्वाइन की कीमत शनिवार को गिरकर 40,30,391 रुपये के निचले स्तर तक पहुंच गई। शुक्रवार को भी इसमें भारी गिरावट आई थी।
इथेरियम समेत दुसरी करेंसी का हाल
सिर्फ बिटक्वाइन ही नहीं बल्कि दूसरी सबसे पसंदीदा डिजिटल करेंसी इथेरियम में भी ओमिक्रॉन वेरिएंट का असर दिखाई दे रहा है। इसकी कीमत में पांच फीसदी तक की गिरावट आ चुकी है। फिलहाल, इथेरियम की कीमत 18,998 रुपये कम 3,09,699 रुपये है। गौरतलब है कि इसी महीने इथेरियम अपने ऑल टाइम हाई के स्तर पर पहुंचा था और अब इसमें 20 फीसदी तक की कमी आ चुकी है। दूसरी मुद्राओं की बात करें तो कार्डानो मे तीन फीसदी, रिपल में पांच फीसदी, पोल्काडॉट में 7 फीसदी, डॉजक्वाइन में 3 फीसदी, शीबा इनु में 4 फीसदी, लाइटक्वाइन में 7 फीसदी, अंडर डॉग में 12 फीसदी और किशु इनु में 10 फीसदी तक की कमी आ चुकी है।
दुनिया भर के बाजार हुए धड़ाम
दक्षिण अफ्रीका में कोरोना के खतरनाक वैरिएंट मिलने के बाद निवेशकों की चिंताएं भी बढ़ीं। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि नया ओमिक्रॉन वैरिएंट B.1.1.529 डेल्टा वेरिएंट से भी कहीं ज्यादा खतरनाक है और दक्षिण अफ्रीका में इसके 30 से अधिक नए मामले मिले हैं। इसके साथ ही इजराइल में भी इसका मामला सामने आया है। इसके बाद तो दुनिया भर के बाजारों में हड़कंप मच गया। शुक्रवार को बाजारों में इस कदर भगदड़ की स्थिति रही कि यूरोपीय शेयरों में जुलाई के बाद से अब तक की सबसे बड़ी गिरावट आई, जबकि अमेरिकी शेयर बाजार भी लाल निशान पर रहे। भारतीय बाजारों की बात करें तो शुक्रवार को यहां सात महीने की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई।