पंचतत्व में विलीन हुए प्रख्यात कवि पद्मश्री सुरेंद्र दुबे,बेटे अभिषेक ने दी मुखाग्नि,प्रमुख हस्तियां हुई शामिल

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छत्तीसगढ़ के प्रख्यात कवि पद्मश्री डॉक्टर सुरेंद्र दुबे का आज शुक्रवार को रायपुर के मारवाड़ी श्मशान घाट में अंतिम संस्कार किया गया। उनके पुत्र अभिषेक दुबे ने मुखाग्नि दी। इसके साथ ही वे पंचतत्व में विलीन हो गए।

छत्तीसगढ़ के प्रख्यात कवि पद्मश्री डॉक्टर सुरेंद्र दुबे का आज शुक्रवार को रायपुर के मारवाड़ी श्मशान घाट में अंतिम संस्कार किया गया। उनके पुत्र अभिषेक दुबे ने मुखाग्नि दी। इसके साथ ही वे पंचतत्व में विलीन हो गए।

इस मौके पर प्रख्यात कवि और दुबे के करीबी दोस्त कवि कुमार विश्वास दिल्ली से रायपुर पहुंचे और पुष्प चक्र अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।

इस दौरान उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा, वित्त मंत्री ओपी चौधरी, मंत्री राम विचार नेताम, रायपुर दक्षिण विधायक सुनील सोनी,
रायपुर कलेक्टर गौरव सिंह, पद्मश्री मदन चौहान, पद्मश्री अनुज शर्मा, छत्तीसगढ़ी अभिनेता व गायक सुनील तिवारी, रायपुर नगर निगम के पूर्व सभापति प्रमोद दुबे समेत आदि गणमान्य नागरिक मौजूद रहे।

हास्य कवि पद्मश्री डॉ. सुरेन्द दुबे ने गुरुवार को शाम 5 बजे अंतिम सांस ली। श्री दुबे की तबीयत अचानक खराब होने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां इलाज के दौरान हार्ट अटैक आने की वजह से उनका निधन हो गया। उनके निधन पर देश-विदेश के साहित्यकारों और कवियों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है। सीएम विष्णुदेव साय उनके घर पहुंचे और शोक प्रकट किया। उनके निधन का समाचार प्राप्त होते ही वित्त मंत्री ओपी चौधरी भी अस्पताल पहुंचे। उनका पार्थिव देह रायपुर अशोका रत्न स्थित निवास लाया गया है।

श्री दुबे कॉमिक कविताओं के व्यंग्यवादी और लेखक थे। वे पेशे से एक आयुर्वेदिक चिकित्सक भी थे। श्री दुबे का जन्म 8 जनवरी 1953 को भारतीय राज्य छत्तीसगढ़ में दुर्ग के बेमेतरा में हुआ था। उन्होंने पांच किताबें लिखी, जो कई मंचो और टेलीविजन शो पर दिखाई गई। वर्ष 2010 में उन्हें भारत सरकार द्वारा देश के चौथे उच्चतम भारतीय नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। वह 2008 में काका हाथ्री से हसया रत्न पुरस्कार भी प्राप्त कर चुके हैं।

वर्ष 2017 में थामा बीजेपी का दामनडॉ. सुरेंद्र दुबे केवल कवि ही नहीं, बल्कि एक प्रख्यात आयुर्वेदिक चिकित्सक, समाजसुधारक और राजनीतिक विचारक भी थे। उन्होंने हास्य के माध्यम से व्यंग्य की धार को मंचों से लेकर टीवी तक पहुँचाया। डॉ. दुबे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विचारों से प्रेरित थे। वर्ष 2017 में उन्होंने तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की उपस्थिति में बीजेपी की सदस्यता ली थी। आज उनके निधन के बाद सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें वे एक काव्य सम्मेलन के मंच से ‘मुझको भाजपा से कुछ नहीं चाहिए, पर मुझको अंतिम साँस तक भाजपा चाहिए।’

कई पुरस्कार से किए जा चुके हैं सम्मानितहास्य कवि पद्मश्री डॉ. सुरेंद्र दुबे कॉमिक कविताओं के व्यंग्यवादी और लेखक थे। वे पेशे से एक आयुर्वेदिक चिकित्सक भी थे। श्री दुबे का जन्म 8 जनवरी 1953 को भारतीय राज्य छत्तीसगढ़ में दुर्ग के बेमेतरा में हुआ था। उन्होंने पांच किताबें लिखी, जो कई मंचो और टेलीविजन शो पर दिखाई गई। वर्ष 2010 में उन्हें भारत सरकार द्वारा देश के चौथे उच्चतम भारतीय नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। वह 2008 में काका हाथ्री से हसया रत्न पुरस्कार भी प्राप्त कर चुके हैं।