सूर्य उपासना का महापर्व छठ पूजा छत्तीसगढ़ में मंगलवार से शुरुआत हो गई है।
सूर्य उपासना का महापर्व छठ पूजा छत्तीसगढ़ में मंगलवार से शुरुआत हो गई है। पहले दिन मंगलवार को व्रती नहाय-खाय के साथ 72 घंटे का निर्जल व्रत शुरू करेंगे। इस बार भिलाई-दुर्ग के 60 तालाबों पर व्रती अर्घ्य देंगे। छठ पूजा को लेकर पूरी तैयारी कर ली गई है। चार दिवसीय छठ महापर्व की शुरुआत पांच नवंबर से नहाय खाय के साथ शुरू हो गई है। इस बार छठ महापर्व बड़े ही धूमधाम और भव्यता के साथ मनाया जा रहा है। इसे लेकर छठ महापर्व आयोजन समिति महादेव घाट के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने कमर कस ली है।
पहले दिन पांच नवंबर को नहाय खाय के साथ छठ महापर्व की शुरुआत हुई। इसके बाद 6 नवंबर को खरना, 7 नवंबर को डूबते सूर्य को अर्घ्य और 8 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर छठ महापर्व का समापन होगा। छठ पर्व को शक्ति पूजा और सूर्य सष्टी व्रत के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से पूर्वी भारत के बिहार, झारखंड, पूर्वांचल, पश्चिम बंगाल और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है। छठ पूजा सूर्य और उनकी बहन छठी मैया को समर्पित है। त्योहार और व्रत के अनुष्ठान कठोर है। चार दिनों तक मनाए जाने वाले इस व्रत में महिलायें पवित्र स्नान, उपवास और निर्जल, लंबे समय तक पानी में खड़े रहना, प्रसाद, प्रार्थना और सूर्य देवता को अर्घ्य देना शामिल है। बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोग जिस देश और राज्यों में बसे हैं। वहां अपनी संस्कृतियों को आज भी संजोये हुए हैं।
छठ महापर्व आयोजन समिति ने बताया कि छठ महापर्व छत्तीसगढ़ के रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग-भिलाई, कोरबा, बस्तर समेत अन्य शहरों में बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। भिलाई-दुर्ग में छठ पूजा 60 से ज्यादा जगहों पर जैसे सेक्टर-2,सुपेला सीतला तलाब,कुरूद तालाब,सेक्टर-7 और अन्य तालाबों किनारे मनाया जाता है। पांच से आठ नवंबर तक पूरे देश में छठ पूजा की जायेगी। समिति जिला प्रशासन और नगर निगम की सहयोग से सभी घाटों की साफ सफाई हो चुकी है।
इन देशों में भी होती है छठ पूजा
छठ महापर्व मॉरीशस, बियतनाम, सूरीनाम, नेपाल, दोहा, कतर, फिजी, गुयाना और अन्य देशों में भी मनाया जाता है।
पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से छठ पूजा का आरंभ हो जाता है। यह महापर्व पूरे चार दिनों तक चलता है। छठ पूजा का मुख्य व्रत कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को रखा जाता है। इस दिन माताएं अपनी संतान की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य और भविष्य के लिए सूर्य देव और छठी मैया की पूजा-अर्चना करती है। इस दौरान महिलाएं 36 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं। यही वजह है कि इस व्रत को सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। पहले दिन नहाय-खाय के साथ छठ पूजा की शुरुआत होती है। दूसरे दिन लोहंडा और खरना होता है। वहीं तीसरे दिन संध्या अर्घ्य और चौथे दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ व्रत का पारण किया जाता है और इसी के साथ इस पर्व का समापन हो जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं इस साल छठ पूजा कब से शुरू हो रही है।
जानें कब है छठ पूजा?
पंचांग के अनुसार, कार्तिक शुक्ल चतुर्थी तिथि के साथ छठ पूजा का आरंभ हो जाता है। वहीं षष्ठी तिथि को शाम के समय सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस साल कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 7 नवंबर को 12 बजकर 41 मिनट (एएम) से आरंभ हो रही है, जो 8 नवंबर को 12 बजकर 34 मिनट (ए एम) पर समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार 7 नवंबर को ही सूर्य को संध्या अर्घ्य दी जाएगी।
छठ पूजा 2024 कैलेंडर
छठ पूजा का पहला दिन, 5 नवंबर 2024- नहाय खाय (मंगलवार)
छठ पूजा का दूसरा दिन, 6 नवंबर 2024- खरना (बुधवार)
छठ पूजा का तीसरा दिन, 7 नवंबर 2024- संध्या अर्घ्य (गुरुवार)
छठ पूजा का चौथा दिन, 8 नवंबर 2024- उषा अर्घ्य (शुक्रवार)
नहाय-खाय का महत्व
नहाय-खाय से छठ पूजा की शुरुआत होती है। नहाय खाय जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट होता है कि इस दिन स्नान करके भोजन करने का विधान है। नहाय खाय के दिन व्रत करने वाली महिलाएं नदी या तालाब में स्नान करती हैं। यहि नदी में नहाना संभव न हो ते घर पर भी नहा सकते हैं। इसके बाद व्रती महिलाएं भात, चना दाल और लौकी का प्रसाद बनाकर ग्रहण करती हैं।
खरना 2024
छठ पूजा के दूसरे दिन को लोहंडा या खरना कहा जाता है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को खरना का प्रसाद बनाया जाता है। इस दिन माताएं दिनभर व्रत रखती हैं और पूजा के बाद खरना का प्रसाद खाकर 36 घंटे के निर्जला व्रत का आरंभ करती है। इस दिन मिट्टी के चूल्हे में आम की लकड़ी से आग जलाकर प्रसाद बनया जाता है।
तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य
छठ पूजा के तीसरे दिन शाम के समय नदी या तालाब में खड़े होकर अस्त होते सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। इसके साथ ही बांस के सूप में फल, गन्ना, चावल के लड्डू, ठेकुआ सहित अन्य सामग्री रखकर पानी में खड़े होकर पूजा की जाती है।
चौथा दिन उगते सूर्य को अर्घ्य
छठ पूजा के चौथे और आखिरी दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन व्रती अपने व्रत का पारण करते हैं। साथ ही अपनी संतान की लंबी उम्र और अच्छे भविष्य की कामना करते हैं। प्रसाद बांटकर पूजा का समापन होता है।