साय सरकार के सबसे पावरफुल अफसर बने आईएएस पी दयानंद,जानें मुख्यमंत्री के सचिव ने किन किन क्षेत्रों में छोंडी अपने कार्यकुशलता की छाप ….

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सामान्य प्रशासन विभाग ने बड़ा आदेश जारी किया है। 2006 बैच के आईएएस पी दयानन्द को बड़ी जिम्मेदारी सौंपते हुए उन्हें सेक्रेटरी टू सीएम बनाया गया है। पी दयानंद पिछली कांग्रेस की सरकार में लूप लाइन पर भेज दिए गए थे। सचिव स्तर के अधिकारी होने के बाद भी वह गुमनाम रहे लेकिन नई सरकार में वह अब सबसे पावरफुल अफसर के तौर पर काम करने के लिए तैयार हैं।

पी दयानंद बिहार के रहने वाले है। वह चार जिलों सुकमा,कवर्धा ,कोरबा ,एवं बिलासपुर में कलेक्टरी का भी अनुभव रखते है। उन्होंने बस्तर क्षेत्र में तैनाती के दौरान समग्र शिक्षा के क्षेत्र में कई उल्लेखनीय काम भी किये है।
बता दें कि पी दयानंद मूलतः बिहार राज्य के सासाराम जिले के रहने वाले है। वह 2006 बैच के छत्तीसगढ़ कैडर के आईएएस है। बिलासपुर और कोरबा समेत वह चार जिलों की कमान भी सम्हाल चुके है। उन्हें नक्सल क्षेत्र में काम करने का भी अनुभव है। उन्होंने अपना प्रोबिशन पीरियड दंतेवाड़ा जिला पंचायत में सीईओ रहते हुए पूरा किया था। इसके बाद वह सुकमा के कलेक्टर बने। यहाँ उन्होंने एजुकेशन हब की नींव रखी।कोरबा में बतौर कलेक्टर उन्होंने अपनी कार्यकुशलता अनुभवों से गहरी छाप छोंडी । एजुकेशन हब ,सीपेट से लेकर एकीकृत विधिक परिसर उन्हीं की देन है। चिकित्सा परिसर के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय काम हुए । ये सभी परिसर वैश्विक महामारी कोरोना काल में मरीजों के लिए वरदान साबित हुए । प्रशासन ने पर्याप्त अधोसंरचना से सहजता से कोविड -19 की महामारी से कोरबा वसियों को सुरक्षित निकालने में सफलता अर्जित की।

पहाड़ी कोरवाओं के कल्याण के लिए भी विविध योजनाओं पर काम हुआ । पी दयानन्द शांत मिलनसार लेकिन तेज तर्रार अफसरों में गिने जाते रहे है। कोरबा में बेख़ौफ़ अतिक्रमण हटाने एवं चुईया में आदिवासियों की 7 एकड़ जमीन उन्हें वापस दिलाने के अनुकरणीय कार्य के लिए भी उन्हें जाना जाता है। यहां तक कि उन्होंने पावरफुल तत्कालीन कोरबा विधायक तक कि अतिक्रमित जमीन पर कार्रवाई कर उनके निवास तक कि जमीन नपवा दी थी। प्रशासनिक कसावट की वजह से ही उन्हें बिलासपुर जैसे जिले की कलेक्टरी का मौका मिला।जहाँ अनूठे स्वीप गतिविधियों व जन जागरूकता से बिलासपुर जिले का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज हो गया। सम्मानित हुआ। उनकी कार्यकुशलता एवं अनुभवों का छत्तीसगढ़ सरकार एवं जनता को अब अपेक्षित लाभ मिलेगा।