छत्तीसगढ़: ये दुर्भाग्य नहीं तो क्या है?,करोड़ों की संपत्ति और पांच बेटे फिर भी जीते जी न रोटी मिली…,मरने के बाद आग देने में भी आनाकानी,अंतिम संस्कार के लिए नहीं थे तैयार

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बलरामपुर रामानुजगंज में बुधवार के शाम हृदय गति रुकने से एक बुजुर्ग महिला की मौत हो गई जिनमें पांच पुत्र एवं दो पुत्रिया है परंतु शुक्रवार को दाह संस्कार करने के लिए पांचो पुत्र तैयार नहीं हो रहे थे।

बलरामपुर रामानुजगंज में बुधवार के शाम हृदय गति रुकने से एक बुजुर्ग महिला की मौत हो गई जिनमें पांच पुत्र एवं दो पुत्रिया है परंतु शुक्रवार को दाह संस्कार करने के लिए पांचो पुत्र तैयार नहीं हो रहे थे काफी देर तक जनप्रतिनिधि समझाश देने के लिए पहुंचते रहे परंतु बात नहीं बन सकी थी इसी बीच बुजुर्ग महिला के दो पुत्री ने अपनी मां को कंधा देने की बात कही जिसके बाद किसी प्रकार से पांचों पुत्र तैयार हुए एवं मां का अंतिम संस्कार किया।

गौरतलब है कि गुरुवार के देर शाम अचानक हृदय गति रुकने से अकेले रह रही बुजुर्ग महिला की मौत हो गई थी। मोहल्ले के लोगों ने जब बुजुर्ग महिला को गिरते देखा तो तत्काल उसे मानवता का परिचय देते हुए किनारे ले जाकर लिटाया एवं डॉक्टर को बुलाया वही जनप्रतिनिधि भी मौके पर पहुंच गए परंतु तब तक बुजुर्ग महिला की मौत हो चुकी थी। घटना के दूसरे दिन शुक्रवार को दाह संस्कार किया जाना था जिसके लिए जनप्रतिनिधि सहीत महिला के स्वजन भी पहुंचे थे। परंतु उस समय विचित्र स्थिति निर्मित हो गई जब बुजुर्ग महिला के पांच पुत्रों ने दाह संस्कार करने से इनकार करने लगे काफी देर तक मौके पर पहुंचे जनप्रतिनिधियों ने समझाइस देने की कोशिश की जाती रही परंतु कोई समझने के लिए तैयार नहीं था इसी बीच बुजुर्ग महिला के दो पुत्री ने कहा कि हम मां को कंधा देंगे एवं हमारे पति कंधा देंगे। अपनी मां को हम लोग मुक्तिधाम तक पहुंचा देंगे आप लोग चिंता मत कीजिए इस बीच पुत्रों का इमान जगा एवं दाह संस्कार के लिए तैयार हुए।

जीते जी रोटी मरने के बाद नहीं मिली आग
समाज में किस प्रकार से विकृति आ गई है यह शुक्रवार नगर में हुई घटना को देखकर समझ जा सकता है बुजुर्ग महिला लंबे समय पंच पुत्र होने के बाद भी रोटी नसीब नहीं थी खुद बनाकर खाती थी मरने के बाद आग देने में भी आनाकानी करने लगे।

अंतिम सांस तक स्वालंबी रही बुजुर्ग महिला
मृतक बुजुर्ग महिला की उम्र 90 वर्ष से अधिक बताई जा रही है वह अपने अंतिम सांस तक स्वावलंबी बनी रही खुद खाना बनाकर खाती थी घर का साफ सफाई भी खुद करती थी जब सांस टूट भी तो किसी की सहारे की जरूरत नहीं पड़ी। चलते-फिरते दुनिया से रुखसत हो गई।

कफन के लिए पैसा लगाने के लिए लड़ाई
मृत बुजुर्ग महिला की करोड़ों की जमीन है परंतु सांस टूटने के बाद कफन देने के लिए लड़ाई होने लगा बताया जा रहा है की जगह जमीन के विवाद के चलते इस प्रकार की स्थिति निर्मित हुई। मृत महिला के पांचो बेटे जमीन के बंटवारे से नाखुश थे वही सब एक दूसरे पर मां का अंतिम संस्कार का भार डालने के लिए जदोजहद कर रहे थे।