भारत-पाक के बीच युद्ध की संभावना: दुर्ग-भिलाई सहित देश के 244 जिलों में कल मॉक ड्रिल,गृहमंत्री विजय शर्मा का बड़ा बयान आया,VIDEO में देखिए कैसे बजेगा वॉर्निंग सायरन

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देश के 244 जिलों में सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल के लिए दिल्ली में हाईलेवल मीटिंग हुई। गृह मंत्रालय में हुई मीटिंग में राज्यों के मुख्य सचिव, सिविल डिफेंस चीफ समेत कई हाई रैंक ऑफिसर शामिल हुए। यह ड्रिल कल यानी 7 मई से की जानी है, लेकिन लखनऊ, श्रीनगर और मुंबई में आज से ही सिविलियंस को युद्ध के दौरान बचने की ट्रेनिंग दी जा रही है। मॉकड्रिल के दौरान हवाई हमले की चेतावनी देने वाले सायरन बजाए जाएंगे।

छत्तीसगढ़ सहित सभी राज्यों में यह मॉक ड्रिल आयोजित की जाएगी। राज्य के गृह मंत्री विजय शर्मा ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि मौजूदा परिस्थितियों में समय से पहले तैयारी बेहद जरूरी है। समय और परिस्थिति का कोई भरोसा नहीं होता इसलिए मॉक ड्रिल नियमित रूप से होनी चाहिए।

बताया जा रहा है कि इस तरह की व्यापक मॉक ड्रिल आखिरी बार 1971 में भारत-पाक युद्ध के दौरान हुई थी। इस बार भी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से इसे एक अहम कदम माना जा रहा है।

पाकिस्तान से युद्ध की आशंकाओं के बीच इसी महीने भारत को रूस से जंगी जहाज तमल मिल जाएगा। रूस 28 मई को इसे भारतीय नौसेना को सौंपेगा। यह जंगी जहाज ब्रह्मोस मिसाइल से लैस होगा, जो रडार की पकड़ में भी नहीं आएगा। इधर, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने दावा किया कि भारत नियंत्रण रेखा (LoC) पर किसी भी समय सैन्य कार्रवाई कर सकता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजनीतिक फायदे के लिए क्षेत्र को परमाणु युद्ध के कगार पर धकेल रहे हैं। भारत-पाकिस्तान के बीच 22 अप्रैल को हुए पहलगाम अटैक के बाद तनाव बढ़ता जा रहा है। इस हमले में आतंकी फायरिंग में 26 टूरिस्ट मारे गए थे। देश में पिछली बार ऐसी मॉक ड्रिल 1971 में हुई थी। तब भारत और पाकिस्‍तान के बीच युद्ध हुआ था। यह मॉक ड्रिल युद्ध के दौरान हुई थी। हालांकि रविवार-सोमवार रात पंजाब के फिरोजपुर छावनी में ब्लैकआउट प्रैक्टिस की गई। इस दौरान गांवों और मोहल्लों में रात 9 बजे से 9:30 बजे तक बिजली बंद रही।

शीत युद्ध की याद ताजा

हालांकि इस तरह की तैयारियां शीत युद्ध (Cold War) के दौर की याद दिलाती हैं, लेकिन मौजूदा वैश्विक तनावों ने एक बार फिर इन्हें अहम बना दिया है। 7 मई को होने वाले इस राष्ट्रीय स्तर के रिहर्सल के लिए गृह मंत्रालय ने 2 मई 2025 को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश जारी किया। यह अभ्यास सिविल डिफेंस रूल्स, 1968 के तहत आता है।
इस मॉक ड्रिल में स्थानीय प्रशासन, सिविल डिफेंस वार्डन, होम गार्ड्स, नेशनल कैडेट कोर (NCC), नेशनल सर्विस स्कीम (NSS), नेहरू युवा केंद्र संगठन (NYKS) और स्कूल-कॉलेजों के छात्र-छात्राएं हिस्सा लेंगे।

इस तरह की तैयारी यह संकेत देती है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सिर्फ सैनिकों की जिम्मेदारी नहीं है। जब आम नागरिक यह जानते हैं कि क्या करना है, कब करना है और कैसे संयम बनाए रखना है, तो पूरे देश की मजबूती बढ़ जाती है। यह केवल हमले के बाद की प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि हमले से पहले की जागरूकता का हिस्सा है।
ड्रिल की मुख्य गतिविधियां
संवेदनशील इलाकों और संस्थानों में सायरनों का परीक्षण किया जाएगा ताकि आम लोगों को हमले की स्थिति में सतर्क किया जा सके। स्कूलों, दफ़्तरों और समुदाय केंद्रों में वर्कशॉप्स आयोजित होंगी जिनमें लोगों को गिरकर छिपने (drop-and-cover), नजदीकी शरण स्थलों का पता लगाना, प्राथमिक उपचार और मानसिक स्थिति को संभालना सिखाया जाएगा।

इसके अलावा अचानक बिजली बंद कर दी जाएगी ताकि रात के समय हवाई हमले की स्थिति में शहर को दुश्मन की नजर से छिपाया जा सके। यह तकनीक आखिरी बार 1971 की बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के समय इस्तेमाल हुई थी। सामरिक इमारतों जैसे मिलिट्री बेस, संचार टावर, और पावर प्लांट को छिपाने के लिए नकाबपोशी की जाएगी ताकि सैटेलाइट या हवाई निगरानी से बचा जा सके। हाई-रिस्क इलाकों से लोगों को सुरक्षित क्षेत्रों में ले जाने का अभ्यास किया जाएगा, जिससे वास्तविक स्थिति में आने वाली रुकावटों को पहचाना जा सके।
पहलगाम घटना से जुड़े से तार
यह अभ्यास किसी खास घटना से जुड़ा हुआ नहीं है, बल्कि 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद सरकार की सुरक्षा तैयारियों का हिस्सा है। इस हमले में 26 भारतीय सैलानियों की मौत हुई थी, और इसके पीछे पाकिस्तान-आधारित आतंकी संगठनों का हाथ बताया जा रहा है।

इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई उच्च-स्तरीय सुरक्षा बैठकें कीं और कहा कि, “हम साज़िश करने वालों को ऐसी सजा देंगे जिसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की होगी।” इससे पहले भी अक्टूबर 2022 में हुए ‘चिंतन शिविर’ में प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री ने सिविल डिफेंस को मजबूत करने की जरूरत पर जोर दिया था।
हर राज्य से रिपोर्ट मांगी जाएगी
जनवरी 2023 में गृह सचिव द्वारा भेजे गए पत्र में भी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से सीमावर्ती और तटीय इलाकों में सिविल डिफेंस क्षमताओं को बढ़ाने की अपील की गई थी।
भारत-पाकिस्तान सीमा के पास फिरोजपुर छावनी में 7 मई से पहले ही एक 30 मिनट की ब्लैकआउट ड्रिल आयोजित कर इसकी झलक दिखा दी है। गृह मंत्रालय ने हर भाग लेने वाले राज्य और केंद्र शासित प्रदेश को ड्रिल के बाद “एक्शन टेकन रिपोर्ट” सौंपने का निर्देश दिया है, जिसमें कार्यान्वयन, सीख और सुधार के बिंदु शामिल होंगे।